नई पुस्तकें >> चेतना के सप्त स्वर चेतना के सप्त स्वरडॉ. ओम प्रकाश विश्वकर्मा
|
0 5 पाठक हैं |
डॉ. ओ३म् प्रकाश विश्वकर्मा की भार्गदर्शक कविताएँ
|
भारतीय कवितायें
भारत माता झुलस रही थी, रक्त भरे अंगारों में
कश्मीर जो दुनियाँ का स्वर्ग बताया जाता था,
कश्मीर से भारत का सम्मान बढ़ाया जाता था।
कश्मीर जो वीर जवाहर केदिल का स्पन्दन था,
कश्मीर जो लाल बहादुर के प्राणों का बन्दन था।
कश्मीर वह बदल गया है बारूदी बौछारो में।
भारत माता झुलस रही थी रक्त भरे अंगारों में।।१।।
कश्मीर की क्यारी में जो केसर की वारा थी,
कश्मीर की झीलों में जो अमृत की धारा थी।
कश्मीर के बागों में जो फूलों की क्यारी थी ।
कश्मीर के झरनों में जो बच्चों की किलकारी थी।
कश्मीर वह पिघल गया है रक्त भरे व्यवहारों में।
भारत माता झुलस रही थी रक्त भरे अंगारों में ।।२ ।।
पायल कश्मीर में कैद पड़े थे बोल महावर पायल के,
कश्मीर में खुले घूमते हत्यारे हैं घायल के ।
कश्मीर में नहीं भारतीय जिन्दा था।
भारत माता की जय कहने वाला हर जवान शर्मिन्दा था।
भारत मुर्दाबाद बोलते नंगे खूनी औजारो में
भारत माता झुलस रही थी रक्त भरे अंगारों में ।।४ ।।
जहाँ हर रोज तिरंगा फाड़ा जाता था।
माँ के आँचल में चाकू गाड़ा जाता था।
फिर भी शर्म नहीं आती है दिल्ली के गद्दारों को।
खूनी मौसम में भी मना रहे त्योहारों को।
लाशों की दुर्गन्ध आ रही आकाशी तारों में।
भारत माता झुलस रही थी रक्त भरे अंगारों में ।।५।।
भारत माँ को डायन कहने वाले को तुमने छोड़ा था
ऐसा क्यों भारत माता से नाता तोड़ा था।
कश्मीर की धरती पर अब नहीं तिरंगा प्यारा था।
कश्मीर साथ में नहीं रहेगा यह दुष्टों का नारा था।
सर्प घुसे हैं अस्तीनों में डस रहे रोज शरीरों में।
भारत माता झुलस रही थी रक्त भरे अंगारों में ।।६।।
इन सबका बस इक कारण था
इक भी भूल भारी थी भारी
थे सरल हमारे नेतागण
था न छल छन्द न मक्कारी।।
छद्म तरीके से जोड़ी धारा पैंतीस और तीन सौ सत्तर
कश्मीरी दर्जा था विशेष जो उन्हें बनाता था बेहतर
अलग था उनका संविथान औ अलग था उनका झंडा भी
इसलिये न कभी वहाँ फहराया गया तिरंगा भी
उठा फायदा रहे वहाँ जो हाकिम और गद्दार भी
शेष देश के शासन को ना करते थे स्वीकार कभी
तब भारत की संसद ने कुछ उपाय करने की ठानी
जिससे वह कातिल हत्यारे कर न सकेंगे मन मानी
करा खतम संसद में सबने मिलकर उस हत्यारी धारा को
काट दिया बस एक बार उस तलवार दुधारा को।
हत्यारे जिम्मेदारों को डाल जेल में किया कश्मीर सेना के हवाले
फिर क्या था सेना ने उनके सारे कसबल डाल निकाले।।
इसका स्वागत किया विश्व ने, उछल पड़ा दब पाकिस्तान
दहक दहक कर लगे उछलने पाक प्रधआन खान इमरान
भागे भागे फिरे विश्व में पर किसी ने न डाली उनको घास
भारत की सम्प्रभुता और निर्णय पर था सबको विश्वास
रूस अमरीका अरब देश सब खड़े हो गये भारत के साथ
भड़क भड़क कर, भभक भभक कर उमरान मल रहे दोनों हाथ।।
हुई स्वतंत्र कश्मीरी जनता, उन्नति का आभास हुआ
कश्मीर जगत की जनता को अब भारत पर विश्वास हुआ
कश्मीर और सारा भारत अब वास्तव में एक हुआ
स्वर्ण मुकुट भारत का स्वर्ग बना, यह बड़ा काम ही नेक हुआ
अब कश्मीर में तिरंगा झूम रहा है शान से
गली गली गूंजे 'प्रकाश' वन्दे मातरम् के गान से।।
* *
|