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चेतना के सप्त स्वर
चेतना के सप्त स्वर
प्रकाशक :
भारतीय साहित्य संग्रह |
प्रकाशित वर्ष : 2020 |
पृष्ठ :156
मुखपृष्ठ :
ई-पुस्तक
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पुस्तक क्रमांक : 15414
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आईएसबीएन :978-1-61301-678-7 |
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डॉ. ओ३म् प्रकाश विश्वकर्मा की भार्गदर्शक कविताएँ
अब इस जीवन को विश्रान्ति दो
ओ प्रभू!
अब अनहद में विश्राम दो।
मेरी आस्थाओं को सच्चे आयाम दो।
कर्मरत रहे सदा, हो निष्काम।
महत्वाकाक्षाओं के क्षितिज पर।
मध्याह्न के चमकते सूर्य सम।
उतार लाये जीवन में 'प्रकाश'।
किस तरह अर्चना करूँ तुम्हारी।
हवाओं में देखा तुम्हें,
घटाओं में देखा तुम्हें,
पतझड़ और बसन्त के रूप में,
तुम्हीं को निहारा है।
फूलों की घाटी में तुम्हीं को, तो पुकारा है।
हर स्वाँस अमानत है तुम्हारी।
हृदय की हर धड़कन तुम्हारी पुजारी।
बहुत हलचल हुई।
हुआ कोलाहल बड़ा।
अब करो नाथ ऐसी कृपा।
अब इस जीवन को विश्रान्ति दो।
जीवन में शान्ति दो।
'प्रकाश' को शक्ति दो।
* *
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पुस्तक का नाम
चेतना के सप्त स्वर
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