नई पुस्तकें >> चेतना के सप्त स्वर चेतना के सप्त स्वरडॉ. ओम प्रकाश विश्वकर्मा
|
0 5 पाठक हैं |
डॉ. ओ३म् प्रकाश विश्वकर्मा की भार्गदर्शक कविताएँ
|
भारतीय कवितायें
आदमी को आदमी से प्यार होना चाहिये
न्याय के पथ पर चलें, अन्याय से मुख मोड़ कर।
आदमी को आदमी से, प्यार होना चाहिए।।
क्यों न हो संघर्ष मय, जीवन किसी का साथियों।
इन्सान हैं इन्सानियत, हमको न खोना चाहिये।।
जिन्दगी तो एक कृषि है, आदमी तो है कृषक।
अच्छे उन्नतशील कृषि में, बीज बोना चाहिये।।
स्वावलम्बी स्वाभिमानी और सदाचारी हो खुश।
हँस कर हमें दायित्व का, वह बोझ ढोना चाहिये।।
भ्रष्ट पापी और अभिमानी, को रोना चाहिये।
आदमी को आदमी से, प्यार होना चाहिए।।
* *
|