नई पुस्तकें >> चेतना के सप्त स्वर चेतना के सप्त स्वरडॉ. ओम प्रकाश विश्वकर्मा
|
0 5 पाठक हैं |
डॉ. ओ३म् प्रकाश विश्वकर्मा की भार्गदर्शक कविताएँ
|
भारतीय कवितायें
हे ! पूज्य महात्मा गाँधी
हे! पूज्य महात्मा गाँधी,
मेरा प्रणाम स्वीकार करो।
यह भारत देश तुम्हारा है,
राम राज्य तुम और भरो।।१
भारत के कोने-कोने में,
प्रकाश पुंज जिसने फैलाया।
मिटा अँधेरा आज देश से,
दिनकर का दर्शन पाया।।२
भारत का बच्चा बच्चा,
जो बापू के गुण गाता है।
नित-नित वर्षों के अन्तर को,
भुला आज ना पाता है।।३
एक सत्य का लिया सहारा,
और अहिंसा अपनाई।
दुष्टों को फिर दूर भगाया,
पूरी स्वतन्त्रता दिलवाई।।४
ऊँच-नीच का भेद मिटाया,
गौतम का उपदेश पढ़ाया।
एक समान सभी मिल कर,
राम राज्य सन्देश दिलाया।।५
हम भूल नहीं सकते तुमको,
हम पर अपना हाथ धरो।
हे! पूज्य महात्मा गाँधी,
मेरा प्रणाम स्वीकार करो।।६
हे प्रखर बुद्धि! हे दयावान !
तुमने क्या अचरज दिखलाया।
अहिंसा का लिया सहारा,
गोरों को फिर दूर भगाया।७
हे राष्ट्र पिता! हे जगत श्रेष्ठ!
मेरा फिर से उद्धार करो।
हे पूज्य महात्मा गाँधी,
मेरा प्रणाम स्वीकार करो।८
पुनः जन्म भारत में लीजे,
'प्रकाश' निवेदन करता है।
राम राज्य आये धरती पर,
यह अभिलाषा करता है।।९
* *
|