नई पुस्तकें >> चेतना के सप्त स्वर चेतना के सप्त स्वरडॉ. ओम प्रकाश विश्वकर्मा
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डॉ. ओ३म् प्रकाश विश्वकर्मा की भार्गदर्शक कविताएँ
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भारतीय कवितायें
पाक को चुनौती
‘बस भर’ करी जो मैत्री अटल जी ने
बदले में तूने किया उनसे घात है।
भूतों का इलाज बातचीत कभी होता नहीं
उनका इलाज बस केवल जूता-लात है।।१
तेरे अमरीकी बाप धो न पायेंगे तेरे पाप,
पाप अपने आप, तू खुद काट पायेगा।
ख्वाब कश्मीर के देखना तू छोड़ दे,
वरना जहांन से निशान मिट जायेगा।।२
कारगिल कश्मीर, द्रास दिखना नहीं आसपास।
लगेगा कोई भाव नहीं दुनियां की मण्डी में।।
अबके लिया जो पंगा, मचाया जो फिर दंगा,
फहरेगा तिरंगा मेरा जाके रावलपिण्डी में।।३
पहले जो बटा था, देश इशारा भाई चारे का था,
आगे ऐसी भूल कोई होने नहीं देंगे हम।
गोरी मिसाइलों की धमकी नहीं देना हमें,
पृथ्वी, अग्नि और त्रिशूल तेरे हूल देंगे हम।।४
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