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यात्रा की मस्ती

मस्तराम मस्त

प्रकाशक : श्रंगार पब्लिशर्स प्रकाशित वर्ष : 2020
पृष्ठ :50
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 1217
आईएसबीएन :1234567890

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मस्तराम को पता चलता है कि यात्रा में भी मस्ती हो सकती है।


कूपे में मेरे सामने वाली जो दूसरी लम्बी बर्थ थी, उस पर जो भी सो रहा था, वह ठीक से दिखाई नहीं दे रहा था। एक तो वहाँ वैसे ही अंधेरा था, उस पर दोनो सीट के बीचो-बीच छत से एक खड़खड़ाता हुई पंखा लटक रहा था। पंखे को देखकर मेरा ध्यान गया कि इसकी हवा पता नहीं कहाँ जाती है, ऊपर एक तो वैसे ही गर्मी होती है, उस पर पंखा कहीं नीचे हवा फेकता है। मेरा ध्यान चुम्बन से भटक गया है, शायद इस बात का पता उसको चल गया था, क्योंकि उसने कसमसा कर ओंठों का दबाव बढ़ा दिया। वह मेरी गर्दन में लटकी हुई चूम रही थी, इससे मुझे कुछ उलझन होने लगी। यह भी समझ आया कि शायद उसे भी इस तरह लटकने में मुश्किल जा रही होगी, मैने हम दोनों की सुविधा के लिए अपने बायें पैर को घुटने से मोड़कर बर्थ से चिपका दिया और दायें घुटने हल्का मोड़ कर अपने बायें पंजे पर टिका दिया कि उसका सिर आराम से मेरे दायें घुटने पर टिक गया।

वह कभी अपने ओंठों से मेरे ऊपर के ओंठों को चूमती और कभी नीचे के ओंठों को। अपने ओंठों से उसके ओंठों का खिलवाड़ मुझे मस्त कर रहा था। इत्तेफाक की बात है कि पिछले हफ्ते ही मैंने क्लीन शेव करना शुरु किया था। मेरे सारे साथी मेरा मजाक यह कहकर उड़ा रहे थे कि अब मुझे बचकर रहना होगा नहीं तो फर्स्ट इयर के लड़के मेरी रेगिंग करने लगेंगे। यह सोचकर मेरे ओंठों पर मुस्कान आ गई कि यदि मेरी पहले जैसी "नत्थूलाल" वाली मूँछे होतीं तो इसके लिए चुम्बन करना टेढ़ी खीर हो सकता था। इस समय तो हाल ये था कि वह खुला खेल फर्रुखाबादी खेल सकती थी और मौके का फायदा उठाकर वह यही कर रही थी।

रास्ते में हजामत का सामान नहीं ले जाना चाहता था, और जिनसे मिलना था वे सम्मानित व्यक्ति थे, इसलिए बढ़ी हुई दाढ़ी में उनके सामने जाना अच्छा नहीं लगता। इसी ख्याल से घर से निकलने पहले मैंने दाढ़ी घिसकर बिल्कुल चिकनी कर ली थी, ताकि कल सुबह तक ठीक ही ठीक दिखे। लेकिन अब उसका असर यह था कि उसके ओंठों के सामने अपनी हरकतों को अंजाम देने में कतई कोई रुकावट नहीं थी। इसलिए बढ़-चढ़कर वह अपने दोनो ओंठों से कभी मेरे ऊपर के ओंठों का मजा लेती और कभी नीचे का। मैंने अपना मुँह खोल कर उसके ओंठों पर कब्जा करना चाहा तो मौका मिलते ही उसकी जीभ गजब की फुर्ती से मेरे मुँह के अंदर खोज-बीन करने लगी। हॉलीवुड की पिक्चरों और ब्लू फिल्मों को देखते रहने के कारण मुझे भी इस तरह की किसिंग के बारे में अच्छी तरह से पता था। लेकिन यह तो बिलकुल उस्ताद लग रही थी।

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