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जीवनी/आत्मकथा >> प्लेटो

प्लेटो

सुधीर निगम

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2017
पृष्ठ :74
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 10545
आईएसबीएन :9781613016329

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पढ़िए महान दार्शनिक प्लेटो की संक्षिप्त जीवन-गाथा- शब्द संख्या 12 हजार...


विद्या के क्षेत्र में प्लेटो के शिष्य एक से बढ़कर एक थे। प्लेटो का भांजा स्पयूसिपस और खालकिदोन निवासी जेनोक्रातिस महान दार्शनिक हुए। प्लेटो के बाद वे दोनों क्रमशः अकादमी के अध्यक्ष बने। अरस्तू का नाम प्लेटो के सर्वोत्तम शिष्यों में गिना जाता है। अन्य प्रसिद्ध शिष्यों में दार्शनिक और गणितज्ञ के रूप में इराक्सीदेस, एस्तिओस, फिलिप आदि की चर्चा की जा सकती है। यूनान के सभी राज्यों से विद्वान अकादमी में आते रहते थे। प्लेटो और उसकी अकादमी की ख्याति विदेशों से भी विद्वानों को खींच लाती रही।

अकादमी तब तक चलती रही जब तक उसे रोम के सेनापति ल्यूरिअस कार्नेलिअस सुल्ला द्वारा ई.पू. 84 में नष्ट नहीं कर दिया गया। नवप्लेटोवादिओं ने 5वीं शताब्दी के प्रारंभ में इसे फिर चालू किया। परंतु अकादमी का दुर्भाग्य उसका पीछा कर रहा था। 529 ई. में रोमन सम्राट जस्टीनियन प्रथम (527-565 ई.) ने इसे ईसाइयत के प्रचार में चुनौती मानते हुए बंद करवा दिया। किसी भी रूढ़िवादी धर्म के लिए दर्शन एक खतरनाक चीज़ है क्योंकि उसके कारण लोग सोचने-विचारने लगते हैं। प्लेटो की अकादमी के ध्वंस पर सम्राट द्वारा कुस्तुनतुनिया में एक विश्वविद्यालय स्थापित किया गया। अकादमी स्थल आज भी दिख जाएगा पर उसका वह भव्य भवन अब नहीं रहा। सिसली की दो यात्राओं के अतिरिक्त प्लेटो का पूरा जीवन अकादमी में गुजरा। डायोजिनीस के अनुसार प्लेटो को मृत्यूपरांत अकादमी में ही दफनाया गया परंतु आधुनिक पुरातत्ववेत्ताओं को प्लेटो की कब्र वहाँ नहीं मिली है।

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