जीवनी/आत्मकथा >> प्लेटो प्लेटोसुधीर निगम
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पढ़िए महान दार्शनिक प्लेटो की संक्षिप्त जीवन-गाथा- शब्द संख्या 12 हजार...
रचना-संसार
यह विवाद का विषय है कि प्लेटो ने सुकरात के समय से ही लिखना प्रारंभ कर दिया था या नहीं। हाँ, में सुकरात की मृत्यु के बाद, उसने सुविस्तृत रूप से लेखन कार्य प्रारंभ कर दिया था। यह आज भी विवादित है कि उसके ग्रंथ किस क्रम में लिखे गए थे।
प्लेटो के संवाद ग्रंथों को श्रेसाइलस नायक किसी संपादक ने ईसा पूर्व प्रथम शताब्दी में चार-चार संवादों को नौ ज़िल्दों में संग्रहीत किया। परंपरागत रूप से प्लेटो द्वारा 36 संवाद ग्रंथ और 13 पत्र लिखे बताए जाते हैं। परंतु आधुनिक विद्वानों को इनमें से कई ग्रंथों की प्रामाणिकता पर संदेह है। प्लेटो की रचनाएं कई रूपों में प्रकाशित हुई हैं जिससे नामों और संदर्भों की कई परंपराएं चल पड़ी। प्लेटो की प्रमाणित कृतियों को तीन चरणों में बांटा जा सकता है। यथा-
प्रारंभिक कृतियां:
अपोलाजी, लाखेस, खारमीदिस, यूथीफ्रो, प्रोतागोरास, क्रीतो, हिप्पीआस माइनर।
मध्यवर्ती कृतियां:
फैदो, मेनो, गोर्गीअस, सिंपोजियम, रिपब्लिक, फेदरोस, इओन।
परवर्ती कृतियां:
सोफिस्ट, स्टेट्समैन, थिएतितोस, पार्मेनिदीज, फिबैक्स, तिमैओस और लाज (The Laws)।
वे रचनाएं जिन पर विद्वान एक मत नहीं है कि उन्हें प्लेटो ने लिखा है-
अल्केवियादिस प्रथम, हिप्पीआस (मेजर) क्लिटोफोन और एपिस्टोतोस।
इसके अतिरिक्त प्लेटो के 13 पत्र भी पाए जाते हैं जिन्हें उसके दर्शन-साहित्य का एक अंग माना जाता है।
प्लेटो के 25 प्रामाणिक संवाद ग्रंथ और 13 पत्र उपलब्ध हैं। उपनिषदों की भांति प्लेटो ने अपनी अंतिम रचना लाज के अतिरिक्त सभी ग्रंथों में संवाद शैली अपनाई है। इस कारण उसके सभी ग्रंथों को ‘संवाद’ कहा जाता है। इन संवादों में नीतिशास्त्र, विधि, राजनीति, कला, तर्कशास्त्र, दर्शन, देवता तथा ईश्वर संबंधी प्रश्नों पर चर्चा की गई है।
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