जीवनी/आत्मकथा >> प्लेटो प्लेटोसुधीर निगम
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पढ़िए महान दार्शनिक प्लेटो की संक्षिप्त जीवन-गाथा- शब्द संख्या 12 हजार...
अकादमी की स्थापना
सुकरात की मृत्यु के पश्चात बारह वर्ष के विदेश प्रवास से लौटकर प्लेटो जब एथेंस आया, उस समय उसकी आयु 40 वर्ष की थी। एथेंस के उपनगर एटिक स्थित भूखंड पर उसने एक अकादमी की स्थापना की जो तत्समय पश्चिमी देशों के संगठित स्कूलों में से एक थी। यह एथेंस की शहर पनाह से लगभग एक मील दूर थी। अकादमी एक विशाल हाते की तरह उस भूखंड पर स्थित थी जो कभी एथेंस के नागरिक एकादेमिस की संपत्ति रही थी। इसी के नाम पर स्कूल का नाम अकादमी रखा गया। कुछ लोगों का विचार है कि स्कूल का ‘अकादमी’ नाम एक प्राचीन हीरो ‘एकेदेमस’ के नाम पर रखा गया था। अकादमी में शिक्षा निशुल्क थी। अकादमी के पाठ्य विषय नक्षत्र विज्ञान, प्राणी विज्ञान, गणित, राजनीति शास्त्र तथा दर्शन थे।
अकादमी के द्वार पर उत्कीर्ण अभिलेख में लिखा गया था, ‘‘जो ज्यामिति से परिचित नहीं हैं उनका प्रवेश वर्जित है।’’ इसका तात्पर्य यह है कि अकादमी में नालंदा विश्व विद्यालय की तरह प्रवेश-परीक्षा का प्रावधान था। प्राचीन यूनान में स्त्रियां सार्वजनिक जीवन में भाग नहीं ले सकती थीं परदे में रहने की मजबूरी के कारण और न ही उच्च शिक्षा प्राप्त कर सकती थीं परंतु प्लेटो ने न केवल स्त्रियों की शिक्षा का प्रावधान रखा, उसने स्त्री-शिक्षा का, ईश्वरचन्द विद्यासागर की तरह, अभियान भी चलाया। इससे प्रेरित हो समाज में स्त्री-शिक्षा-चेतना जागृत हुई और स्त्रियों का अकादमी में प्रवेश लेना प्रारंभ हुआ। अपने ग्रंथ रिपब्लिक में प्लेटो ने लिखा है, ‘‘यदि स्त्रियों के कर्तव्य पुरुषों के समान हैं तो उनकी शिक्षा-दीक्षा और उनका पालन-पोषण भी पुरुषों के समान होना चाहिए।’’
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