जीवनी/आत्मकथा >> प्लेटो प्लेटोसुधीर निगम
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पढ़िए महान दार्शनिक प्लेटो की संक्षिप्त जीवन-गाथा- शब्द संख्या 12 हजार...
दार्शनिक राजा की छवि, प्लेटो के बाद, अनेक लोगों ने प्रयुक्त की जिससे वे अपने व्यक्तिगत राजनीतिक विश्वासों को सही ठहरा सकें। सुकरात के अनुसार दार्शनिक आत्मा के पास सदाचारी सामंजस्य से संयुक्त तर्क और इच्छा होती है। दार्शनिक के पास बुद्धि के अनुसार कार्य करने का साहस और बुद्धिमत्ता के लिए सामान्य प्रेम होता है। सभी प्राणियों के मध्य उचित संबंधों या अच्छाई के संबंध में जानकारी ही ज्ञान है।
राज्यों और शासकों के संबंध में प्लेटो ने रोचक टिप्पणियां की हैं। जैसे, वह पूछता है कि इनमें से क्या बेहतर है-एक बुरा प्रजातंत्र या तानाशाह द्वारा शासित देश ? खुद ही उत्तर देता है कि बुरे प्रजातंत्र की अपेक्षा एक तानाशाह द्वारा शासित होना बेहतर है क्योंकि बुरे प्रजातंत्र में बुराई के लिए सभी जिम्मेदार होते हैं जबकि तानाशाह में बुराई होने पर सिर्फ एक व्यक्ति उत्तरदायी होता है। जहाज में होने वाले विद्रोह से प्लेटो इसकी तुलना करता है। कहता है जहाज के कर्मचारी एक (कप्तान) के द्वारा शासित प्रजातंत्र के समान हैं जबकि उनका कप्तान, भले ही बीमार हो, एक तानाशाह है। इस घटना का वर्णन एक ऐसे प्रजातंत्र के लिए किया गया है जिसके राज्य में समस्याएं हैं। प्लेटो मानता है कि विभिन्न प्रकार के लोगों का राज्य कुलीनतंत्र के स्थान पर महाजन तंत्र को, महाजनतंत्र के स्थान पर अल्पमत शासन को, उससे प्रजातंत्र को और उससे अधिक वह निरंकुश शासन पसंद करेगा। प्लेटो के रिपब्लिक में कुलीन तंत्र के शासन की वकालत की गई है। इस तंत्र में दार्शनिक राजा द्वारा शासन किया जाता है इसीलिए बुद्धि और तर्क पर आधारित होता है। कुलीन तंत्र राज्य से मेल खाने वाले स्वभाव के व्यक्ति ही का प्लेटो ने रिपब्लिक में विश्लेषण किया है और अन्य चार प्रकार के राज्यों या व्यक्तियों का, जिनका वर्णन पुस्तक में है अपेक्षाकृत उतना विश्लेषण नहीं किया है।
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