लोगों की राय

जीवनी/आत्मकथा >> प्लेटो

प्लेटो

सुधीर निगम

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2017
पृष्ठ :74
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 10545
आईएसबीएन :9781613016329

Like this Hindi book 0

पढ़िए महान दार्शनिक प्लेटो की संक्षिप्त जीवन-गाथा- शब्द संख्या 12 हजार...



प्रत्ययवाद की अवधारणा

प्लेटो का प्रमुख दार्शनिक सिद्धांत ‘प्रत्ययों का सिद्धांत’ है। अरस्तू इस सिद्धांत की नींव का श्रेय सुकरात को देता है अर्थात सुकरात ने सर्वप्रथम प्रत्ययों पर विचार किया। परंतु सुकरात वस्तुओं और उनके पार्थक्य की समस्या का समाधान नहीं कर सका। अरस्तू कहता है कि प्लेटो को वस्तुओं में वे सभी गुण न मिल सके जो परिभाषाओं के अनुसार उनमें होने चाहिए। इसीलिए परिभाषाओं को वस्तु रूप देकर उसने उन्हें ‘प्रत्यय’ कहा। इस विचार से प्लेटो का  प्रत्ययवाद वस्तुओं में छिपे हुए सामान्य को वस्तुओं का रूप देने का प्रयत्न है।

पश्चिमी दार्शनिकों में प्लेटो संभवतः पहला दार्शनिक था जिसने इंद्रियों द्वारा समझे जाने वाले और ज्ञान शक्ति द्वारा समझे जाने वाले संसार के मध्य मौलिक भेद को स्वीकार किया। इस भेद के आधार पर ही उसने उस सिद्धांत को प्रतिपादित किया जिसका प्रभाव परवर्ती दर्शन पर किसी सिद्धांत से बढ़कर था। प्लेटो का यह प्रसिद्ध सिद्धांत ‘प्रत्यय के सिद्धांत’ (थ्योरी ऑफ आइडियाज़) के नाम से जाना जाता है।

पर यह प्रत्यय है क्या? आइए देखें- जब हम किसी वस्तु को आंखों से देखते हैं तो उसे प्रत्यक्षीकरण कहते हैं। जब आंख बंद करके उसके बारे में सोचते हैं तो वह उसकी कल्पना हुई। लेकिन जब हम वस्तु विशेष पर विचार न कर उस वस्तु की जाति मात्र को प्रकट करने वाले रूप पर विचार करते हैं तो इसे प्रत्यय कहते हैं। जैसे हमने किसी त्रिभुज को प्रत्यक्ष देखा, फिर आंख बंदकर त्रिभुज को कल्पना में देखा लेकिन जब तीन भुजाओं से घिरी आकृति पर विचार करते हैं तो वही त्रिभुज का प्रत्यय है।

एक और उदाहरण देखते हैं। मनुष्य कई प्रकार के होते हैं, उनके आकारों और रंगों में भिन्नता होती है। लेकिन जब हम ‘मनुष्य’ कहते हैं तो हमें इस या उस मनुष्य का बोध न होकर सामान्य मनुष्य का बोध होता है। सामान्य मनुष्य का बोध ही प्रत्यय है। ‘मनुष्य’ का चिंतन मनुष्य के प्रत्यय या लक्षण को निश्चित करने के लिए किया जाता है। प्रत्यय या लक्षण को निश्चित करने के लिए हम अनेक विषयों को देखते है और फिर असमान गुणों को अलग करके समान गुणों पर ध्यान केन्द्रित करते हैं।

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book