जीवनी/आत्मकथा >> प्लेटो प्लेटोसुधीर निगम
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पढ़िए महान दार्शनिक प्लेटो की संक्षिप्त जीवन-गाथा- शब्द संख्या 12 हजार...
सत्य
सत्य के संबंध में प्लेटो के विचार परंपरागत यूनानी विचार नहीं हैं। उसके अनुसार शरीर आत्मा का मकबरा है और शरीर का त्याग करने के बाद आत्मा एकाकीपन में ही अपना वास्तविक रूप ग्रहण करती है। तब वह यथार्थ की ओर उन्मुख होकर सत्य की प्राप्ति करती है। अपने भटकाव के लम्बे दौर के बाद जब आत्मा संपूर्ण सत्य की स्थिति में पहुंच जाती है तब वह अजर-अमर व अपरिवर्तनीय बन जाती है। सत्य सदैव हमारी आत्मा में निहित है किंतु सामान्य व्यक्ति को इसका पता ही नहीं रहता इस कारण वह सचमुच जागरित नहीं होता।
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