जीवनी/आत्मकथा >> प्लेटो प्लेटोसुधीर निगम
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पढ़िए महान दार्शनिक प्लेटो की संक्षिप्त जीवन-गाथा- शब्द संख्या 12 हजार...
इसमें कोई संदेह नहीं कि प्लेटो एलिया के पार्मेमिदीज और जेनो से बहुत प्रभावित था। आधिभौतिकी एकता तथा ज्ञात वास्तविकता में स्थायित्व की पार्मेमिदीज की अपेक्षा पूरी करने के लिए प्लेटो ने ‘आकार’ के सिद्धांत में एक चरित्र के रूप में, पार्मेमिदीज संवाद में एक चरित्र के रूप में, दोनों को उपस्थित दिखाया है।
प्रसिद्ध दार्शनिक थियोदोसियस से प्लेटो ने विचार-विमर्श किया था। हिब्रू, मेसोपोटामियन तथा ईरानी मार्गियों से भी उसकी भेंट हुई थी। अपने मिस्र-प्रवास के दौरान प्लेटो ने वहाँ के पुजारियों से शिक्षा ग्रहण की थी।
प्लेटो ने हेराक्लीतोस, पाइथागोरियनों और सुकरात के विचारों को मिला दिया है। गोचर के संबंध में वह हेराक्लीतोस का, बुद्धिगम्यता के लिए पेथागोरस का और राजनीति की समझ के लिए सुकरात का ऋणी था। डायोगेनीज बताता है कि प्लेटो हास्य कवि एपीखारमोस से अत्यधिक प्रभावित था।
डायोगेनीज दावा करता है कि दक्षिणी इटली में पाइथागोरस के कई अनुयायिओं से प्लेटो कई बार मिला था जिसमें से एक थियोदोरोस था जिसे प्लेटो ने थियोतितोस नामक संवाद में सुकरात का मित्र बतलाया है। सातवें पत्र से ज्ञात होता है कि प्लेटो टोरेंटम के आर्कीतोस का मित्र था जो एक विख्यात पाइथागोरियन विचारक और राजनेता था। फैदो में प्लेटो इसोक्रेतस से मिलता है जो जेल में सुकरात के अंतिम दिन उपस्थित था।
सबसे महत्वपूर्ण यह कि प्लेटो पर सुकरात से अधिक किसी का प्रभाव नहीं था। प्लेटो के संवादों में व्यक्त अनेक सिद्धांतो और तर्कों से यह स्पष्ट है। सर्वोपरि यह, प्लेटो ने अपने संवादों में मुख्य पात्र के रूप में सुकरात को चुना। सातवें पत्र के अनुसार प्लेटो सुकरात को सबसे न्यायपूर्ण व्यक्ति मानता है। डायोगेनीज के अनुसार दोनों एक-दूसरे का सम्मान करते थे।
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