जीवनी/आत्मकथा >> प्लेटो प्लेटोसुधीर निगम
|
0 |
पढ़िए महान दार्शनिक प्लेटो की संक्षिप्त जीवन-गाथा- शब्द संख्या 12 हजार...
संवादों का काल निर्धारण
काल निर्धारण का एक तरीका तो यह है कि हम संवादों को संबंधित तिथि के अनुसार रखें। अक्सर यह कहा जाता है कि अगर हम प्लेटो द्वारा लिखित संवादों का संबंधित काल-क्रम स्थापित कर सकें तो हम इस दावे की परीक्षा कर सकते हैं कि प्रारंभिक संवादों में सुकरात का दिग्दर्शन सम्यक रूप से किया गया है और पश्च्-संवादों में कम सुकरातीय सत्यता है।
प्राचीन काल में प्लेटो के संवादों को विषय-वस्तु के आधार पर क्रम दिया जाता था। सबसे अच्छे क्रम-निर्धारण में कई ऐसी रचनाएं सम्मिलित कर ली गईं जिनकी प्रामाणिकता या तो विवादित थी या सर्वसम्मति से उन्हें पूरी तरह नकार दिया गया था। काल निर्धारण के लिए अविवादित आंतरिक साक्ष्य और बाह्य साक्ष्य अपेक्षाकृत कम है। अरस्तू और ओलम्पियोदोरस का कहना है कि प्लेटो ने रिपब्लिक के बाद लाज लिखा। सोफिस्ट और स्टेट्समैन के अंतःसाक्ष्य के अनुसार स्टेट्समैन सोफिस्ट के बाद आया। तिमैओस में कहा गया है कि रिपब्लिक उसके पहले आया। अधिक स्पष्टता से उल्लिखित है कि क्रितिओस उसके बाद आया। इसी प्रकार सोफिस्ट और थिएतितोस के आंतरिक संदर्भ के अनुसार तीन संवादों का निर्दिष्ट क्रम इस प्रकार है- पार्मेनिडोज, थिएतितोस और सोफिस्ट। लेकिन इस साक्ष्य से यह नहीं कहा जा सकता कि ये तीनो संवाद इसी क्रम से लिखे भी गए होंगे। अपने चरित्रों के माध्यम से प्लेटो यह घोषणा करता है कि अपनी आगामी कृतियों में वह बोझिल संवाद शैली का परित्याग कर देगा। उसकी अनेक रचनाओं में संवाद शैली का प्रयोग नहीं किया गया है। उन रचनाओं को जिनमें संवाद शैली नहीं है थियोतितोस के बाद लिखा गया।
अति सूक्ष्य साक्ष्य को विस्तार देने के लिए विद्वानों ने शेष संवादों को क्रमागत करने की पद्धति अपनाई। इसमें से एक पद्धति है शैली-विज्ञान, जिसमें प्लेटो के प्रत्येक संवाद में वाक्य-विन्यास के विभिन्न आयामों का मूल्यांकन किया जाता है और अन्य संवादों में उनका प्रयोग और पुनरावृत्ति देखी जाती है। मूल रूप से वैयक्तिक प्रयासों में बहुत परिश्रम करना पड़ता था। अब कम्प्यूटरों की सहायता से यह काम अधिक कुशलता से किया जा सकता है।
|