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पढ़िए महान दार्शनिक प्लेटो की संक्षिप्त जीवन-गाथा- शब्द संख्या 12 हजार...
प्लेटो अकेला नहीं था जिसने सुकरातीय संवाद लिखे, पर उसने अपनी रचनाओं में लेखन-शैली के नियमों का पालन किया परंतु अन्य लेखकों की उपस्थिति और उनके लेखन को देखते हुए यह बात मुश्किल से स्वीकार की जा सकती है। यह पूछा जा सकता है कि क्या प्लेटो द्वारा सुकरात को अपनी तरह मुख्य चरित्र के रूप में प्रस्तुत करना किसी प्रकार के ऐतिहासिक सुकरात से मेल खाता है ? इस प्रश्न से कई जटिल बौद्धिक विवाद खड़े हो गए हैं। कम से कम एक महत्वपूर्ण प्राचीन सूत्र, अरस्तू, कहता है कि प्रारंभिक संवादों में प्लेटो द्वारा सुकरात से कहलाए सिद्धांत ऐतिहासिक सुकरात का समर्थन करते हैं। इस संबंध में अरस्तू के कथन को सत्य न मानने का कोई कारण नहीं है। लेकिन विद्वानों का यह मानना है कि इस कथन से हमें दृढ़ आधार प्राप्त होता है कि प्लेटो के प्रारंभिक संवादों और सुकरात से संबंधित पश्च-रचनाओं में सुकरात के नाम से व्यक्त विचार और तर्क, अरस्तू के अनुसार, प्लेटो के स्वयं के हैं। उनका ऐतिहासिक सुकरात से कोई लेना-देना नहीं है।
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