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पढ़िए महान दार्शनिक प्लेटो की संक्षिप्त जीवन-गाथा- शब्द संख्या 12 हजार...
प्लेटो के संवाद और सुकरात
डायोगेनीज के अनुसार प्लेटो युवावस्था से ही असाधारण बौद्धिकता और कलात्मक योग्यता से संपन्न था। प्लेटो ने दुखांत नाटक-लेखन से अपना करियर प्रारंभ किया लेकिन सुकरात के वचन सुनकर उसने अपना जीवन मार्ग बदल लिया। यहाँ तक कि एक प्रतियोगिता के लिए लिखे गए एक त्रासद नाटक की पांडुलिपि उसने जला दी। यह नहीं कहा जा सकता कि यह कथन सत्य है अथवा नहीं परंतु इसमें कोई शंका नहीं है कि प्लेटो को संवाद लिखने, चरित्र-चित्रण करने और नाटकीय पूर्वापर संबंध स्थापित करने में दक्षता प्राप्त थी।
कोई भी यह आशा नहीं करता कि प्लेटो ने सुकरात के वास्तविक शब्दों और भाषणों को शब्दशः अंकित किया होगा। लेकिन तर्क दिया जाता है कि अपोलाजी में दिए गए सुकरात के भाषणों में ऐसा कुछ नहीं है जिसे उसने ऐतिहासिक मुकदमें में कहा नहीं होता। तथापि विद्वानों के लिए प्लेटो की अपोलाजी को ऐतिहासिक सुकरात के संबंध में अति विश्वसनीय स्रोत मानना अति सामान्य है। अन्य प्रारंभिक संवाद प्लेटो की अपनी कल्पना हैं। जैसा कि कहा गया है कि अधिकतर विद्वान उन्हें ऐतिहासिक सुकरात के दर्शन और व्यवहार का कमोवेश सही अंकन मानते हैं यद्दपि उनमें वास्तविक सुकरात की वार्ता का शब्दशः ऐतिहासिक अंकन नहीं है। कुछ प्रारंभिक संवादों में काल-दोष है जिससे उनकी ऐतिहासिक अशुद्धता प्रकट होती है।
चाल्र्स एच. काहन द्वारा किए गए हाल ही के अध्ययन का निष्कर्ष है कि भेद के अस्तित्व के कारण और विभिन्न लेखकों द्वारा सुकरात की परस्पर विरोधी छवियां प्रस्तुत करने के कारण हम पुराकाल में प्लेटो सहित अन्य लेखकों द्वारा सुकरात के संबंध में दिए गए विवरणों को ऐतिहासिक रूप से सत्य नहीं मान सकते।
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