जीवनी/आत्मकथा >> प्लेटो प्लेटोसुधीर निगम
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पढ़िए महान दार्शनिक प्लेटो की संक्षिप्त जीवन-गाथा- शब्द संख्या 12 हजार...
सुकरात का मुकदमा
प्लेटो के महान संवादों में सुकरात का मुकदमा एक केंद्रीय घटना है। इसी कारण प्लेटो के संवादों में से अपोलाजी सबसे ज्यादा पढ़ी जाती है। इसमें सुकरात इन अफवाहों का खंडन करता है कि वह शुल्क लेकर शिक्षा देने वाले सोफिस्टों में से एक है। वह इन आरोपों से अपना बचाव करता है कि उसे देवताओं में अविश्वास है और वह युवकों को भ्रष्ट कर रहा है। सुकरात इस बात पर जोर देकर कहता है कि उसकी स्थाई अपकीर्ति ही उसकी मृत्यु का वास्तविक कारण होगा। वह आगे कहता है कि कानूनी आरोप वस्तुतः झूठे हैं। सुकरात स्वयं को बुद्धिमान कहे जाने पर एतराज करता है। वह स्पष्ट करता है कि कैसे उसका दार्शनिक जीवन डेल्फी की देववाणी से प्रभावित हुआ था। देववाणी की पहेली हल करने में उसके मित्र ही उसके शत्रु हो गए। यही कारण है कि वह भूलवश नगर राज्य एथेंस का अभिशाप मान लिया गया। अगर प्लेटो के महत्वपूर्ण संवाद सुकरात के प्राणदंड की बात स्पष्ट रूप से नहीं कहते हैं तो परोक्ष रूप से इंगित करते हैं। पांच संवाद मुकदमें का पूर्व संकेत देते हैं। थिएतीतोस और यूथीफ्रो नामक संवादों में लोगों को बताया जाता है कि सुकरात पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए जाने वाले हैं। मेनो में एक व्यक्ति सुकरात पर कानूनी आरोप लगाता है। अनाईतोस सुकरात को चेतावनी देता है कि अगर वह महत्वपूर्ण व्यक्तियों की आलोचना करना बंद नहीं करता तो मुसीबत में फंस सकता है। गोर्गीअस में सुकरात कहता है कि उसका मुकदमा कुछ उसी तरह है जैसे कि एक रसोइया एक डाक्टर पर मुकदमा चलाता है और बच्चों से कहता है कि वे डाक्टर की कड़वी दवा और रसोइए के स्वादिष्ट भोजन में से चुनाव कर लें। रिपब्लिक में सुकरात स्पष्ट करता है कि एक ज्ञानोदीप्त व्यक्ति (संभवतः स्वयं) अदालती कार्यवाही में क्यों डगमगाएगा। अपोलाजी (अपने शाब्दिक अर्थ के अनुरूप) सुकरात का प्रतिरक्षा भाषण है। क्रीतो और फैदो नामक संवादों का जन्म जेल में होता है जहाँ सुकरात प्राणदंड दिए जाने की प्रतीक्षा कर रहा है। प्रोतागोरस में सुकरात हिप्पीओस के पुत्र कालीओस का मेहमान है जिसकी अपोलाजी में सुकरात इस बात के लिए निंदा करता है कि उसने सोफिस्टों के शुल्क के रूप में भारी धनराशि गंवा दी है।
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