नई पुस्तकें >> लेख-आलेख लेख-आलेखसुधीर निगम
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समसामयिक विषयों पर सुधीर निगम के लेख
हमारे हाथ
आदिम मानव के पास भाषा नहीं थी। भाव-संप्रेषण और सूचनाएं लेने-देने का काम वह अपने हाथों के माध्यम से ही करता था। आज भी गूंगे-बहरों की वाणी हाथ ही हैं। भाषा का आविष्कार हो जाने के बाद भी आंतरिक मौन व्यथाओं की अभिव्यक्ति हाथ के संकेतों पर निर्भर है। हाथ के इंगितों द्वारा भाषा की आधी आवश्यकता पूरी हो जाती है। पहले मानव ने हाथ से पत्थर के औजार बनाए, फिर हाथ से खेती करना सीखा, तत्पश्चात् हाथ से नए यंत्र बनाए, कल-कारखाने स्थापित किए यानी सभ्यता की प्रत्येक सीढ़ी वह हाथ के सहारे चढ़ा।
ज्ञानेन्द्रियों में आंखें और कर्मेन्द्रियों में हाथ प्रधान होता है। कंधे से अगुलियों तक के शारीरिक अंग को बांह या हाथ कहा जाता है। लेकिन साधारणतया हथेली और अंगुलियों को हाथ समझा जाता है और उसी का सबसे अधिक उपयोग किया जाता है। हाथ की कार्यक्षमता असाधारण है। मस्तिष्क के ´कार्टेक्स´ में शरीर के इस भाग को तीस प्रतिशत से अधिक प्रतिनिधित्व मिला है। सांत्वना, आश्वासन, मौखिक स्वीकृति या अस्वीकृति देने में हाथ अपनी भूमिका भली-भांति निभाते हैं। क्षमा याचना से लेकर धमकी देने तक में हाथों की अनुकृतियां अपना उद्देश्य अच्छी तरह पूरा करती हैं।
स्पर्श का माध्यम हाथ होते हैं। आदरभाव के प्रकटीकरण के लिए चरणों का स्पर्श हाथों से किया जाता है और आशीर्वाद के लिए हाथ ही सिर पर जाकर स्नेह का प्रदर्शन करता है। स्नेह या प्रेम की प्रगाढ़ अभिव्यक्ति के लिए आलिंगन में एक साथ दोनों हाथ प्रयुक्त किए जाते हैं। हस्त-स्पर्श से रोग निवारण की स्पर्श-चिकित्सा सुविदित है। ईसा मसीह स्पर्श चिकित्सा में निष्णात थे इसी कारण लोगों ने उन्हें हाथों हाथ लिया। एक समय इंग्लैंड के एक राजा के बारे में यह माना जाता था कि उनके द्वारा राजयक्ष्मा के रोगी को हाथ से स्पर्श करने पर बीमारी से छुटकारा मिल जाता था। ऐसा ही कौरव राजा शांतनु के बारे में प्रसिद्ध था कि उनके हाथ के स्पर्श से व्यक्ति निरोग हो जाता था। अन्य अनेक सिद्ध पुरुषों में भी हस्त-स्पर्श से रोग-निवारण की क्षमता देखी गई है। हाथों से गुदगुदाने, चिकोटी काटने, मसलने और दबाने की एक विशेष कला है जो प्रमोद की कला न होकर उपचार की एक पद्धति है। ´एक्यूप्रेशर´ इसी का एक रूप है।
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