नई पुस्तकें >> लेख-आलेख लेख-आलेखसुधीर निगम
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समसामयिक विषयों पर सुधीर निगम के लेख
इसे लोग कहानी समझकर पढ़ तो लेते हैं पर कौए की बुद्धिमत्ता पर विश्वास नहीं करते। लेकिन वाशिंगटन के एक जर्नल में प्रकाशित वेट्टी नामक काल्डोनियन कौए के कारनामें के बारे में जानकर उसकी बुद्धिमत्ता पर विश्वास करना ही पड़ेगा। घटना के अनुसार इंग्लैड़ के आक्सफोर्ड विश्वविद्यालय की प्रयोगशाला में बेट्टी ने एक ट्यूब के भीतर रखे खाद्य पदार्थ को निकालने के लिए तार के एक टुकड़े को पहले मोड़ा, तार को ´ट्यूब´ के अंदर डाला और फिर खाने की चीज निकाली। उसने यह कारनामा बार-बार कर दिखाया।
कौआ विशेषज्ञ रिचर्ड बैंक्स इसे आश्चर्यजनक मानते हैं। उनका कहना है कि वे कई ऐसे जीवों के बारे में जानते हैं जो वस्तुओं का इस्तेमाल कर सकते हैं, लेकिन वस्तुओं को इस्तेमाल करने लायक बनाने की यह पहली घटना है। वस्तुओं का निर्माण और उनका उपयोग ही जीव जंतुओं की बुद्धिमत्ता का पैमाना है। कौए ने सिद्ध कर दिया कि बुद्धि के मामले में मनुष्य के बाद उसी का नंबर है। इससे यह मान्यता ध्वस्त होती है कि मनुष्य के बाद नंबर दो पर बंदर है।
लोक मान्यता है कि कौओं को आने वाले मानसून का पूर्वाभास हो जाता है। वे अपने घोंसले बरसात को ध्यान में रखकर बनाते हैं। अगर कौए अपना घोंसला पेड़ की ऊपरी शाखों पर बनाएं तो यह हल्के मानसून का लक्षण होता है। निचली शाखों पर बनाए गए घोंसले अच्छे मानसून का आभास देते हैं। यदि कौए घोंसले बनाने के लिए पेड़ के बीच घनी शाखों का चुनाव करे तो मानना चाहिए कि बरसात तेज होगी और साथ में तूफान भी आएगा। उल्लेख्य है कि कौआ अपना घोसला बनाने में लोहे के तारों का भी प्रयोग करता है। इसी कारण उसका घोंसला अति सुरक्षित माना जाता है। मनुष्य के अतिरिक्त कौआ ही ऐसा प्राणी है जो लोहे का प्रयोग करता है।
कौए बड़ी खोजी प्रवृत्ति के होते हैं। ऋग्वेद में वर्णन आता है कि जब व्यापारी समुद्री-यात्रा पर जाते थे तो कौओं को साथ ले जाते थे। समुद्र-विक्षोभ होने पर नौकाएं समुद्र-तट से दूर हो जाती थीं। तब तट का पता लगाने के लिए कौओं का प्रयोग किया जाता था।
कौओं के बारे में हमारा शोध जारी है। यदि कौआ-संबंधी कोई नई बात आपके दिमाग में आती है या कहीं पढ़ने-सुनने को मिलती है तो मुझे कृपया ´क्रो फ्लाई´ दूरी से गमन करने वाले वायुयान की डाक सेवा द्वारा सूचित अवश्य करें।
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