लोगों की राय

नई पुस्तकें >> लेख-आलेख

लेख-आलेख

सुधीर निगम

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2017
पृष्ठ :207
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 10544
आईएसबीएन :9781613016374

Like this Hindi book 0

समसामयिक विषयों पर सुधीर निगम के लेख


आज के इस आधुनिक युग में भी, जबकि चारो ओर सूचना तंत्र का संजाल फैला हुआ है, देश के अनेक भागों में कौए का घर आकर बोलना अतिथि के आने का सूचक माना जाता है। नायिका के लिए प्रियतम का संदेश कागा ही लाता है। सोचिए उस समय कौए की कथित कांव-कांव उसे कितनी मधुर लगती होगी। इस कार्य के लिए नायिका उसे ´दूध-भात की दोनी´ देने का तथा ´चोंच सोने से मढ़ाने´ का वादा करती है। परंतु प्रियतम के आने के बाद नायिका रास-रंग में डूब जाती है और अपना वादा भूल जाती है क्योंकि आज तक किसी कौए की सुनहरी चोंच नहीं दिखाई दी और न ही हमारे पक्षी विशेषज्ञ ने इस संबंध में कुछ बताया है। साहित्य साक्ष्य देता है कि जिनके प्रियतम लौटकर नहीं आते वे मरणातुर नायिकाएं निराश हो कहती हैं, ´´कागा सब तन खाइओ, चुन चुन खइओ मांस, दो नैना खइओ मती पिया मिलन की आस।´´

जिन माताओं के पुत्र परदेश जैसे दुबई, अमरीका आदि देशों में पैसे कमाने के लिए गए होते हैं, मोबाइल का नेटवर्क विफल होने की दशा में आतंकवाद से बचकर सकुशल घर लौट आने की सूचना देने वाले काग को माता विश्वस्त संचार माध्यम मानती है। सगुन मानती हुई माता काग से पूछती है ´कब अइहैं मेरे लाल कुशल घर, कहहु काग फुर बाता´। ऋग्वेद में शकुन विचार करने वाले शकुंत पक्षी का उल्लेख आया है। संदर्भ देखते हुए विद्वानों ने इसे ´कौआ´ ही माना है।

स्त्रियों के केशों की उपमा काले मेघ या घटाओं से दी जाती है परंतु कभी राजपुरुषों के बालों की उपमा कौओं से दी जाने की बात यदि कही जाय तो शायद ही कोई माने! प्रमाण यह है कि आदि कवि बाल्मीकि ने विश्वामित्र के यज्ञ रक्षार्थ जाने वाले राम-लक्ष्मण को ´काक पक्ष धरा´ कहा है। इस प्रकार के ´कौआ कट´ में बालों की लटंम कानों और कनपटियों के दोनों ओर लटकती रहती थीं।

हमारे यहां कौए की बुद्धिमत्ता पर एक लोककथा है। एक कौआ बहुत प्यासा था। पानी की तलाश में इधर-उधर भटकता रहा, अंत में उसे एक घड़ा दिखाई दिया जिसमें पानी तो था पर थोड़ा था। घड़े पर बैठकर कौए की चोंच पानी तक नहीं पहुंच सकती थी। अतः वह उपाय सोचने लगा कि कैसे पानी की सतह को ऊपर लाया जाय। अंत में उसे एक तरकीब सूझी। उसने कंकड़ ला-लाकर घड़े में डाले तो पानी की सतह ऊपर आ गई और कौए को पीने के लिए पानी मिल गया।

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book