नई पुस्तकें >> लेख-आलेख लेख-आलेखसुधीर निगम
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समसामयिक विषयों पर सुधीर निगम के लेख
´´आप ठीक कहते हैं। आप ही बताएं आप की क्या मांग है?´´
´´देखिए, लड़का एम.बी.ए. है। कई कंपनियां बुला रही हैं। वह तो बस बड़ी कम्पनी चाहता है। अब आप पूछ रहे हैं तो आपकी पोजीशन देखते हुए बता रहा हूं- पचास लाख।´´
निरंजन दास सकते में आ गए। उन्हें छत घूमती-सी लगी। पर अपने भावों को प्रकट नहीं होने दिया। उन्होंने स्वयं को संभाला और कहा, ´´ठीक है पचास लाख मैं बेटी-दामाद के नाम कर दूंगा। इसके अलावा बोलें।´´
पति-पत्नी ने भौचक होकर एक दूसरे को देखा। आंखों ही आंखों में कहा- मुर्गा मोटा है। बड़ी नम्रता से बोले, ´´लड़का कार की जिद किए बैठा है।´´
´´ठीक है दो कारें भी दे दूंगा।´´
´´दो !´´
´´एक लड़के के लिए और एक आप दोनों के लिए। इस बुढ़ापे में रिक्शे से कहां तक भटकते रहेंगे। और बताइए। हमारे घर में पहला काम है, मैं लेन-देन के बारे में कुछ नहीं जानता।´´
´´देखिए बरातियों का जोर सिर्फ स्वागत-सत्कार पर होता है। वैसे बरातियों की संख्या पांच सौ तक...।´´
´´आप पांच सौ लाइए या एक हजार। हमारा सिर दर्द तो रहेगा नहीं। मैं तो सब कुछ पांच सितारा होटल को सौप दूंगा। हां, सत्कार के रूप में प्रत्येक बराती को एक सोने की अंगूठी दी जाएगी।´´
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