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सुधीर निगम

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2017
पृष्ठ :207
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 10544
आईएसबीएन :9781613016374

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समसामयिक विषयों पर सुधीर निगम के लेख


शीला ने अपनी शंका प्रकट की, ´´मुझे तो लगता है लड़की में कोई ऐब होगा, तभी आप इतनी दरियादिली दिखा रहे हैं।´´

´´नहीं बहन जी, हमारी बेटी सर्वगुणसंपन्न, उच्च शिक्षा प्राप्त अति सुंदर कन्या है।´´

निहाल चंद ने कहा, ´´फिर आप इतना बड़ा दहेज क्यों दे रहे हैं। माना कि आप की सीट ´कमाऊ´ है पर इतनी भी नहीं।´´

´´भाई साहब आप को विश्वास नहीं होगा कि मैंने आज तक एक रुपया रिश्वत का नहीं लिया।´´

´´फिर दहेज की रकम को लेकर क्या आप मज़ाक कर रहे थे?´´
´´क्षमा करना´´, निरंजन दास ने उठते हुए कहा, ´´मज़ाक पहले आप ने ही शुरू किया था। नमस्ते।´´

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