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जीवनी/आत्मकथा >> अकबर

अकबर

सुधीर निगम

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2017
पृष्ठ :60
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 10540
आईएसबीएन :9781613016367

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धर्म-निरपेक्षता की अनोखी मिसाल बादशाह अकबर की प्रेरणादायक संक्षिप्त जीवनी...


बाबर और हुमाऊँ की तुलना में अकबर के पास शक्ति का अक्षय भंडार था। पूर्व में शक्तिशाली रहे अमीर वर्ग के उसने घुटने टिकवा दिए। सन् 1579 में मज़हर की बदौलत धर्म और राज्य दोनों के मुखिया बन जाने के साथ ही ‘इमाम’ और ‘अमीरुल-मुमीनीन’ की उपाधियां धारण कर लेने के बाद भारतीय साम्राज्य पर ईरानी खलीफा का दावा भी आखिरकार खारिज हो गया। सिक्कों की इबारत और ‘खुतबा’ में उसे खलीफा बताया गया।

फिर भी मुगल निरंकुशता को एक अर्थ में सीमित मानना होगा। अकबर अपने समय के रीति रिवाजों का अनुपालन करता था और अपने समय की भावनाओं और विचार धाराओं से सदा अपने को अवगत रखता था। परंतु परंपरावादियों के उत्तेजित होकर विरोध और विद्रोह कर देने के डर से अकबर अपने दृष्टिकोण को पूरी तरह सुधारवादी या परिवर्तनवादी नहीं बना सका। इसके अतिरिक्त कुछ कारण और भी थे, जैसे मुगल साम्राज्य का विस्तृत आकार, तत्कालीन अल्प विकसित संचार-व्यवस्था, परिवहन संबंधी त्वरित साधनों की कमी और अप्रभावी गुप्तचरी। कुछ अगम्य पर्वतीय स्थलों में तथा दकन में इसी प्रकार के अधिकार या प्रभाव को कभी मान्यता नहीं मिली।

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इतिहास का सफरनामा यानी अकबरनामा


बहु-भाषाविद् अबुल फज़ल अपने समय का उच्चकोटि का विद्वान था। वह 1574-75 में अकबर का दरबारी बना। उसकी विद्वता से प्रभावित होकर अकबर ने उसने अपना मित्र और सलाहकार बना लिया। 1595 ई. में उसने अकबरनामा लिखना प्रारंभ किया। अकबरनामा और आइने अकबरी दोनों मिलाकर वास्तव में एक ही पुस्तक हैं। अकबरनामा के पहले भाग में हुमाऊँ समेत अकबर के पूर्वजों का वर्णन है। दूसरे भाग में अकबर के शासन के पहले 46 वर्षों का काल-क्रमानुसार पूर्णतम वर्णन किया गया है। पुस्तक लेखन का कार्य 1595 ई. में प्रारंभ किया गया और पांच संशोधनों के बाद 1602 ई. में पूरा हुआ। आइने अकबरी पुस्तक का तीसरा भाग है। संपूर्ण ग्रंथ एक महान् साम्राज्य की सरकार के विभिन्न विभागों में प्रशासन और नियंत्रण की प्रणाली का एक अनोखा संकलन है जिसमें एक-एक बात का छोटे-से-छोटा ब्यौरा भी ईमानदारी और बारीकी से दर्ज किया गया है। इसमें प्राचीन भारत की दार्शनिक पद्धतियों, हिंदुओं के अधिकारों और रीति-रिवाजों तथा उनके पुराणों की व्याख्या को काफी स्थान दिया गया है। ‘दस सूबों की पड़ताल’ शीर्षक इस पुस्तक के एक अलग अध्याय में हर सूबे का विवरण देते हुए अबुल फज़ल हिंदू आबादी के रीति-रिवाजों, मंदिरों, तीर्थों और स्मारकों के बारे में सूचना देता है।

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