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बाल एवं युवा साहित्य >> आओ बच्चो सुनो कहानी

आओ बच्चो सुनो कहानी

राजेश मेहरा

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2017
पृष्ठ :103
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 10165
आईएसबीएन :9781613016268

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किताबों में तो बच्चो की सपनों की दुनिया होती है।

सिक्केबंदी


ताजपुर जंगल में सब तरफ राजा शेर सिंह द्वारा की गई घोषणा की ही चर्चा थी। कल रात अचानक राजा शेर सिंह ने पुराने 100 और 50 के सिक्कों पर प्रतिबन्ध लगा दिया था। उनका कहना था कि लोगों ने कालाबाजारी करके इन सिक्कों को जमा कर रखा है जिससे कि महंगाई बढ़ी है और कुछ लोगों ने इन सिक्कों के नकली सिक्के भी बना लिए हैं।  

सबसे बड़ी बात ये है कि पड़ोसी देश भी इन सिक्कों की बदौलत अपने कुछ आतंकियों को इन्हें देकर उनके राज्य में आतंकी वारदात करवाता है। उन्होंने घोषणा की थी कि इन सिक्कों पर प्रतिबंध लगाने से ये सब गलत काम बंद हो जायेंगे। राजा शेर सिंह ने आगे कहा कि इन बंद किये सिक्कों के जगह नए दाम के सिक्के बाजार में उतारे जायेंगे, उसको आने में थोड़ा समय लगेगा और जिन जानवरों के पास ये पुराने सिक्के हैं वो उन्हें राज्य के कोषागार में जमा करा दें और उनकी जगह पर नए आने वाले सिक्के ले लें।

सब जानवर परेशान थे कि अब बिना इन सिक्कों के वे कैसे अपने रोजमर्रा की चीजें खरीदेंगे क्योंकि ज्यादातर सबके पास 100 और 50 के ही सिक्के होते हैं। सब जानवर परेशान थे और इसी परेशानी में वे सब अपनी कॉलोनी के सरपंच हरी हिरन के पास पहुंचे।

उन सबने एक सुर में पूछा, "सरपंच जी, हम इस मुसीबत से कैसे निपटें क्योंकि हमारे पास सब 100 और 50 के सिक्के हैं और नए सिक्के आने में समय लगेगा।"

इस पर सरपंच हरी हिरन थोड़ा सोच कर बोला, "आप इस बात से तो सहमत होंगे कि राजा शेर सिंह जी ने ये साहसी और बहुत कड़ा कदम लिया है जिससे हमारी और हमारे राज्य की भलाई ही होगी।"

सबने हरी हिरन के सुर में सुर मिलाकर इसकी सराहना की। थोड़ी देर में कालू कुत्ता बोला "सरपंच जी, आपकी बात ठीक है लेकिन जब हमारे पास सिक्के ही नहीं होंगे तो हम कैसे अपना और अपने बच्चों का पेट पालेंगे क्योंकि बिना सिक्कों के हम ना तो कुछ खरीद पाएंगे और ना ही उन्हें कुछ खिला-पिला पायेंगे।"

सब जानवरों ने कालू कुत्ते की बातों का एक साथ समर्थन किया।

अब सरपंच हरी हिरन भी थोड़ी परेशानी में था और उसे भी इस मुसीबत से बाहर निकलने का हल नहीं मिल रहा था। हरी हिरन ने सबको सांत्वना दी और कहा कि वो इसका हल निकाल लेगा और किसी को भी परेशानी नहीं होने दी जायेगी।

इतना सुनकर सब जानवर अपने-अपने घर चले गए। शाम को हरी हिरन परेशान से अपने कमरे में टहल रहे थे, उनको परेशान देख उनकी पत्नी बोली, "क्या बात है मैं देख रही हूँ आज आप ज्यादा ही परेशान नजर आ रहे हो?"

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