बाल एवं युवा साहित्य >> आओ बच्चो सुनो कहानी आओ बच्चो सुनो कहानीराजेश मेहरा
|
0 |
किताबों में तो बच्चो की सपनों की दुनिया होती है।
राजू इसी ताक में था, वह उस साधू के पीछे हो लिया। रास्ते में उसे बीरू मिला तो उसने उसको सारी बात बताई और उसे भी अपने साथ ले लिया। साधू के पीछे चलते हुए वो शहर से बाहर आ गए साधू एक खंडहर से मकान में घुस गया और उसने अन्दर से दरवाजा बंद कर लिया।
राजू और बीरू उस मकान के पीछे पहुंचे कि किसी तरह से वो उस साधू के बारे में जान सकें। पीछे एक खिड़की थी उन दोनों ने देखा कि वह साधू अपने कपड़े उतार रहा था। तभी राजू और बीरू को आश्चर्य हुआ जब उन्होंने देखा कि उसने अपनी नकली दाढ़ी भी निकाल दी। राजू सही समझ रहा था कि ये साधू नकली है और नंदी मौसी को बेवकूफ बना रहा था। राजू ने बीरू को कहा तुम जाकर नंदी मौसी और मोहल्ले कि दो तीन औरतों को लेकर आओ हम इसका आज ही भंडा फोड़ेंगे जिससे कि नंदी मौसी और सबको पता लगे कि यह उन लोगों को टोटके के नाम से किस तरह बेवकूफ बना रहा है।
बीरू कुछ देर में नंदी मौसी और राजू की माँ समेत चार औरतों को लेकर आया और उस साधू की करतूत खिड़की से दिखाई जो कि अब नंदी मौसी के दिए पैसों से शराब पी रहा था। नंदी मौसी खुद पुलिस स्टेशन गई और पुलिस से उस साधू को पकड़वा दिया।
उसके बाद नंदी मौसी ने उस नकली साधू की बातों में आकर टोटका करने पर सब से माफ़ी मांगी और फिर दोबारा ऐसा ना करने की प्रतिज्ञा की। उसने बताया कि यह साधू कहता था कि तुम टोटका करोगी तो ही तुम्हें बच्चा होगा। नंदी मौसी पछताते हुए बोली, "मैं दूसरों का बुरा करके अपना भला चाहती थी, आप सब मुझे माफ़ कर दें।"
सब लोगों ने उसे अपने पछताने पर माफ़ कर दिया। फिर राजू अपनी माँ से बोला, "माँ अब तो देख लिया ना कि ये टोटका जादू टोना सब अंधविश्वास है।"
राजू की माँ ने हां में गर्दन हिलाई और उसे अपने से लिपटा लिया। राजू भी मुस्कुरा रहा था।
0 0 0
|