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बाल एवं युवा साहित्य >> आओ बच्चो सुनो कहानी

आओ बच्चो सुनो कहानी

राजेश मेहरा

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2017
पृष्ठ :103
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 10165
आईएसबीएन :9781613016268

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किताबों में तो बच्चो की सपनों की दुनिया होती है।

तब राजू बोला, "अच्छा वही जो रोज स्कूल कार से आता है और उसको ड्राईवर छोड़ के जाता है।"

बीरू बोला, "हां, वही।"

उसके पापा ने गैरकानूनी पैसा गैरकानूनी शराब बेच कर इकठ्ठा कर रखा है। उसके लिए चाहे कोई मरे या जीये उसे तो केवल पैसे से मतलब है।"

राजू ने कहा, "कोई पुलिस में कंप्लेंट क्यों नहीं करता।"

बीरू बोला, "उसकी पॉवर ऊपर तक है शिकायत भी कर के देख ली, उसका कोई कुछ नहीं कर पाता, वह ऊपर तक पैसे देता है।"

राजू फिर बोला, "उसके बेटे संजू को इसके बारे में पता है?"

तो बीरू बोला, "पता नहीं।"

बात करते-करते वे स्कूल पहुँच गए, तभी देखा संजू अपनी कार से उतरा। राजू ने पीछे से उसको आवाज दी, संजू रुको। उसकी आवाज सुनकर संजू रुक गया।

राजू जानता था कि संजू एक अच्छा लड़का था और वो कभी भी अपने कार में आने का घमंड नहीं करता था। राजू ने संजू से पहले तो बातों में पता लगाने के लिये पूछा, "संजू, पढ़ाई कैसी चल रही है?" तो वो बोला, "राजू, अब तक तो ठीक है लेकिन तुमसे ज्यादा थोड़ी पढ़ पाऊंगा।" तो इस पर राजू और संजू दोनों हँसने लगे।

बीरू समझ रहा था कि राजू के दिमाग में कुछ चल रहा है। इस पर राजू ने अब संजू से पूछा, "संजू, यार तुम्हारे पापा ऐसा क्या करते हैं कि उन्होंने तुम्हें कार दे रखी है। मेरे पापा तो कार दे ही नहीं सकते।

इस पर संजू बोला, "मेरे पापा का बहुत बड़ा बिज़नस है।"

इसपर राजू बोला, "कैसा बिज़नस?" तो वो बोला, "एक्सपोर्ट इम्पोर्ट का।" इतना कह कर संजू उनसे आगे हो गया।

राजू ने कहा, "इसका मतलब संजू को अपने पापा के गलत बिज़नस के बारे में पता नहीं है।"

राजू अब बीरू से बोला, "यदि संजू हमारा साथ दे तो उसके पापा डागर अपना ये धंधा छोड़ देंगे।"

बीरू बोला, "मैं तभी समझ गया था जब तुम संजू से बातें कर रहे थे, लेकिन आइडिया क्या है?"

राजू ने बीरू को कुछ बताया तो बीरू कि भी आँखें चमक गईं। यदि ऐसा हुआ तो संजू के पापा गलत शराब बनाना भी छोड़ देंगे और किसी को पता भी नहीं लगेगा लेकिन राजू, संजू हमारा साथ क्यों देगा। तो राजू बोला, "आज ही देगा और जरूर देगा।"

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