बाल एवं युवा साहित्य >> आओ बच्चो सुनो कहानी आओ बच्चो सुनो कहानीराजेश मेहरा
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किताबों में तो बच्चो की सपनों की दुनिया होती है।
स्कूल के बाद राजू, संजू को दोस्ती के बहाने अपने घर ले गया और उसको सुनील अंकल के घर भी ले गया और उसको उसके पापा के बारे में बताया। पहले तो संजू नहीं माना लेकिन राजू ने कहा, "यदि झूठ हो तो जो सजा हो मुझे देना बस तुम्हें मेरे बताये अनुसार काम करना है और मुझे तुम्हें अपने चाचा जी से भी मिलवाना है जिस तरह तुम्हें नहीं पता इसी तरह मुझे लग रहा है कि तुम्हारे चाचा जी को भी नहीं पता कि तुम्हारे पापा ये गलत काम करते हैं।"
योजना के अनुसार राजू को संजू उसके पापा के आने से पहले ही अपने घर ले गया और योजना में संजू के चाचा जी को भी बड़ी मुश्किल से मिलाया। शाम को जैसे ही संजू के पापा आये उसने घबराते हुए कहा पापा आपने जो शराब की बोतलें वहाँ स्टोर में रखी थीं मैंने उसमें से एक बोतल चाचा को दे दी थी उन्होंने उसको पी तो उनके मुँह से झाग निकलने लगे और वो अन्दर बेहोश हैं तुरंत डॉक्टर को बुलाओ।"
संजू के पापा गुस्से में बोले, "तुम्हें उन बोतलों को हाथ लगाने को किसने कहा था" और वो अन्दर की तरफ भागे तो योजना के अनुसार उसके चाचा बेहोशी का नाटक कर रहे थे और उन्होंने मुँह से झाग भी निकाल रखे थे।
संजू बोला, "पापा ये आपके कर्मों की वजह से है, देखो आपकी शराब से कितने लोग मर गए। आज उसी शराब ने चाचा जी को भी उसी हालत में ला दिया। इसपर उसके पापा रो दिए और बोले, "संजू, तुमने मेरी आँखें खोल दीं। यदि तुम्हारे चाचा ठीक हो गए तो मैं ये जहरीली शराब का काम छोड़ दूंगा।"
संजू बोला, "वादा करते हो"
उसके पापा बोले, "तुम्हारी कसम मैं ये सब छोड़ दूंगा।" तभी उसके चाचा खड़े हो गए तो संजू के पापा थोड़े हैरान हुए। इसपर संजू ने अपने दोस्त राजू की योजना के बारे में बताया। संजू के पापा ने राजू को उनकी आँखें खोलने के लिये शुक्रिया कहा और अपने इस गलत काम को छोड़ दिया।
संजू भी खुश था कि अब उसके पापा एक अच्छे आदमी थे और उसको एक पक्का दोस्त राजू भी मिल गया था।
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