बाल एवं युवा साहित्य >> आओ बच्चो सुनो कहानी आओ बच्चो सुनो कहानीराजेश मेहरा
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किताबों में तो बच्चो की सपनों की दुनिया होती है।
मंदिर में प्रार्थना
माँ ने राजू को आवाज दी "बेटा चलो पूजा का समय निकला जा रहा है हमें जल्दी से मंदिर पहुंचना है"।
राजू ने भी अन्दर से जवाब दिया “माँ बस आ गया”।
राजू आज अपने पापा और माँ के साथ मंदिर में पूजा करने जा रहा था। आज माँ ने कहा था कि कोई खास त्यौहार है और यदि आज पूजा की जाये तो सब कष्ट दूर होते हैं। वे सब लोग घर से पूजा की सामग्री, फल व मिठाई इत्यादि लेकर चले थे। उन्होंने घर के पास से ही एक रिक्शे वाले को रोका और उस पर बैठकर कर मंदिर की तरफ चल दिए।
मन्दिर से थोड़ी दूरी पर ही माँ ने रिक्शे वाले को रुकने को कहा और वो सब लोग रिक्शे वाले के पैसे चुका कर पैदल ही चल दिए। राजू ने पूछा “माँ हम रिक्शा मंदिर के पास तक ले जा सकते थे फिर आपने उसे दूर ही क्यों रोक दिया?”
तो माँ बोली “बेटा पैदल चल कर मंदिर पहुँचने से मनोकामना पूरी होती है”।
राजू ने कहा “इसका मतलब तो हमें घर से ही पैदल चल कर आना चाहिए था ताकि भगवान् की हम पर ज्यादा कृपा होती”
माँ ने उसे डांटते हुए कहा “राजू इसमें मजाक ठीक नहीं है और ज्यादा मत बोलो सिर्फ भगवान् में ध्यान लगाओ।”
राजू माँ की डांट सुनकर चुप हो गया और उनके साथ चुपचाप चलने लगा। वो लोग मंदिर के पास ही पहुँचने वाले थे कि एक बेहद बुजुर्ग सा आदमी अचानक राजू की माँ के पास आया और बोला “माँ जी खाने को है तो कुछ दीजिये ना”
इसपर माँ ने उसे डांटकर कहा “अरे तुम कहाँ से आ गए ये सब तो भगवान् के लिए है। जब मैं मंदिर से आऊँगी तो जो कुछ बचेगा तो ही उसमें से तुम्हें कुछ दूँगी।”
तब वो बुजुर्ग बोला “माँ भूख ज्यादा लगी है कृपया अभी कुछ दो, आपके पास तो खाने का काफी सामान है।”
लेकिन माँ ने उसकी एक न सुनी और रास्ता बदल कर मंदिर की तरफ चल दी तो राजू के पापा भी बोले “अरे भागवान इस बेचारे को कुछ दे दो, बहुत दिनों से भूखा लग रहा है।"
इसपर राजू की माँ अब तेज आवाज में बोली “अभी कैसे दे दूं। भगवान् का प्रसाद जूठा नहीं हो जायेगा?” इतना कह कर वो तेजी से आगे बढ़ गई तो मजबूर होकर उन्हें भी उसके पीछे जाना पड़ा।
राजू को कुछ भी अच्छा नहीं लग रहा था। वह चाहता था कि माँ उस बूढ़े आदमी को कुछ खाने को दे। राजू पीछे मुड़कर उस बुजुर्ग से बोला "बाबा मैं अभी आ रहा हूँ आपको खाने को कुछ जरूर दूंगा।”
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