श्रीरामचरितमानस अर्थात् तुलसी रामायण बालकाण्ड)
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गोस्वामी तुलसीदास कृत रामायण को रामचरितमानस के नाम से जाना जाता है। इस रामायण के पहले खण्ड - बालकाण्ड में भी मनोहारी कथा के साथ-साथ तत्त्व ज्ञान के फूल भगवान को अर्पित करते चलते हैं।
बन्दीजनों द्वारा जनक की प्रतिज्ञा की घोषणा
बिरिदावली कहत चलि आए।
कह नृपु जाइ कहहु पन मोरा ।
चले भाट हियँ हरषु न थोरा॥
तब राजा जनकने बंदीजनों (भाटों) को बुलाया। वे विरुदावली (वंशकी कीर्ति) गाते हुए चले आये। राजाने कहा-जाकर मेरा प्रण सबसे कहो। भाट चले, उनके हृदयमें कम आनन्द न था।॥ ४॥
पन बिदेह कर कहहिं हम भुजा उठाइ बिसाल॥२४९॥
भाटोंने श्रेष्ठ वचन कहा-हे पृथ्वीकी पालना करनेवाले सब राजागण! सुनिये। हम अपनी भुजा उठाकर जनकजीका विशाल प्रण कहते हैं ॥ २४९ ।।
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