उपयोगी हिंदी व्याकरण
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हिंदी के व्याकरण को अघिक गहराई तक समझने के लिए उपयोगी पुस्तक
निपात
हिंदी में कुछ ऐसे अव्यय शब्द भी हैं जो वाक्य में किसी शब्द या पद के बाद
लगकर उसके अर्थ में विशेष प्रकार का बल (= अवधारणा) दे देते हैं। इन्हें
निपात या अवधारक या अवधारणात्मक शब्द भी कहते हैं। महत्वपूर्ण निपाय ये हैं —
(1) ही: मोहन ही जा रहा है। वह दिल्ली ही जा रहा है। वह क्रिकेट
ही खेलता है।
(2) भी: मोहन भी जा रहा है। वह दिल्ली भी जाएगा। वह क्रिकेट भी
खेलता है।
(3) तो: मोहन तो गया ही था। मोहन पढ़ता तो है, पर अच्छे अंक नहीं
लाता।
मुझे जाने तो दो। (सभी क्रिया के साथ)
(4) तक: तुम आये तक नहीं। तुमने चिठ्ठी तक नहीं लिखी।
(5) मात्र: शिक्षा मात्र मनुष्य को उँचा उठाती है। दस रुपये मात्र मिलेंगे।
इसी अर्थ में केवल आता है, किंतु शब्द के पूर्व। केवल विद्या मनुष्य को ऊँचा
उठाती है। केवल दस रुपए मिलेंगे। मात्र और केवल इन दोनों में एक लगाना चाहिए।
दोनों लगाने से अशुद्धि हो जाती है, जैसे— केवल दस रूपए मात्र मिलेंगे वाक्य
अशुद्ध है।
(6) घर: मैं उसे जानता भर हूँ। चार अक्षर भर पढ़ ले तो नाम हो जाए।
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