आचार्य श्रीराम शर्मा >> वर्तमान चुनौतियाँ और युवावर्ग वर्तमान चुनौतियाँ और युवावर्गश्रीराम शर्मा आचार्य
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मेरी समस्त भावी आशा उन युवकों में केंद्रित है, जो चरित्रवान हों, बुद्धिमान हों, लोकसेवा हेतु सर्वस्वत्यागी और आज्ञापालक हों, जो मेरे विचारों को क्रियान्वित करने के लिए और इस प्रकार अपने तथा देश के व्यापक कल्याण के हेतु अपने प्राणों का उत्सर्ग कर सकें।
युवावर्ग पर इसका प्रभाव
आज का युवावर्ग ऐसे ही दूषित माहौल में जन्म लेता है और होश संभालते ही इस प्रकार की दुखद एवं चिंताजनक परिस्थितियों से रूबरू होता है। आदर्शहीन समाज से उसे उपयुक्त मार्गदर्शन ही नहीं मिलता और दिशाहीन शिक्षा पद्धति उसे और अधिक भ्रमित करती रहती है। ऐसे दिग्भ्रमित और वैचारिक शून्यता से ग्रस्त युवाओं पर पाश्चात्य अपसंस्कृति का आक्रमण कितनी सरलता से होता है, इसे हम प्रत्यक्ष देख रहे हैं। भोगवादी आधुनिकता के भटकाव में फँसी युवा पीढ़ी दुष्प्रवृत्तियों के दलदल में धँसती जा रही है। विश्वविद्यालय और शिक्षण संस्थान जो युवाओं की निर्माणस्थली हुआ करते थे आज अराजकता एवं उच्छृंखलता के केंद्र बन गए हैं। वहाँ मूल्यों एवं आदर्शों के प्रति कहीं कोई निष्ठा दिखाई ही नहीं देती। सर्वत्र नकारात्मक एवं विध्वंसक गतिविधियाँ ही होती रहती हैं। ऐसे शिक्षक व विद्यार्थी जिनमें कुछ सकारात्मक और रचनात्मक कार्य करने की तड़पन हो, बिरले ही मिलते हैं। इसी का परिणाम है कि हमारा राष्ट्रीय एवं सामाजिक भविष्य अन्धकारमय लग रहा है।
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