आचार्य श्रीराम शर्मा >> वर्तमान चुनौतियाँ और युवावर्ग वर्तमान चुनौतियाँ और युवावर्गश्रीराम शर्मा आचार्य
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मेरी समस्त भावी आशा उन युवकों में केंद्रित है, जो चरित्रवान हों, बुद्धिमान हों, लोकसेवा हेतु सर्वस्वत्यागी और आज्ञापालक हों, जो मेरे विचारों को क्रियान्वित करने के लिए और इस प्रकार अपने तथा देश के व्यापक कल्याण के हेतु अपने प्राणों का उत्सर्ग कर सकें।
सफलता का मार्ग खतरों का मार्ग है। इन खतरों से जूझने का, कष्ट सहने का, कठोर परिश्रम करने का साहस तुम्हें हर दशा में सफल बनाएगा। तभी राष्ट्र की वर्तमान चुनौतियों का भी सफलतापूर्वक सामना कर सकेंगे। विश्वक्रांति एवं सांस्कृतिक सद्भाव का संवाहक देश आज आतंकवाद एवं उग्रवाद के विस्फोटों से ग्रस्त है। जातीय-सांप्रदायिक हिसा देश की अस्मिता के लिए खतरा बनी हुई है। समूचा राष्ट्र भ्रष्टाचार में आकंठ डूबा है। कभी सोने की चिड़िया के नाम से विश्वविख्यात देश आज विदेशियों के सामने भिक्षापात्र लेकर भटक रहा है। पूरा समाज आज नेतृत्वविहीन है। राजनीति भ्रष्टाचार एवं अपराध का पर्याय बन गयी है। लोकतंत्र की व्यवस्था एक उपहास मात्र बनती जा रही है। राष्ट्र निर्माण का लक्ष्य एक अंधेरी गली में गुम सा हो गया है राष्ट्र व्यापी असंतोष, अव्यवस्था आज देश की रुग्ण स्थिति को दर्शा रही है।
ऐसी विषम स्थिति से जूझने की सामर्थ्य, ऐसे उल्टे प्रवाह को उलटकर सीधा करने का साहस, समवेत स्वर में 'युवाशक्ति' के बल पर ही संभव है। सभी इस बारे में एक मत हैं कि युवाओं में प्रचंड ऊर्जा है भले ही आज वह दिशाहीनता की वजह से बिखर रही है। आज के राष्ट्रीय एवं सामाजिक परिवेश में युवा शक्ति से ही यह अपेक्षा की जा सकती है कि वह राष्ट्र को इस विकट स्थिति से उबारकर इसमें नयी चेतना का संचार कर सकेंगे।
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