आचार्य श्रीराम शर्मा >> वर्तमान चुनौतियाँ और युवावर्ग वर्तमान चुनौतियाँ और युवावर्गश्रीराम शर्मा आचार्य
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मेरी समस्त भावी आशा उन युवकों में केंद्रित है, जो चरित्रवान हों, बुद्धिमान हों, लोकसेवा हेतु सर्वस्वत्यागी और आज्ञापालक हों, जो मेरे विचारों को क्रियान्वित करने के लिए और इस प्रकार अपने तथा देश के व्यापक कल्याण के हेतु अपने प्राणों का उत्सर्ग कर सकें।
लक्ष्य निश्चित करें
हमने यह समझ लिया है कि हमें यह मानव जीवन क्यों मिला है। जीवन में हमें जैसी भी परिस्थितियों का सामना करना पड़ रहा है वह सब हमारे कर्मों का ही फल है। अब भी हम जैसे कर्म करेंगे उनका फल भी हमें ही भोगना होगा। हमने यह भी जान लिया है कि धर्म का वास्तविक स्वरूप क्या है और हमारे सारे क्रिया- कलाप धर्मानुसार ही होने चाहिए।
इसी आधार पर हमें अपने जीवन का लक्ष्य निश्चित करना होगा। आज तो लगभग सभी ने पैसा कमाना ही अपने जीवन का एकमात्र ध्येय बना रखा है। युवावर्ग में शिक्षा का उद्देश्य भी धन कमाना ही रह गया है। शिक्षा की वास्तविक उपयोगिता तो इसमें है कि हमारा ज्ञान बढ़े, हमारी प्रतिभा व क्षमता का विकास हो और हम इसके द्वारा समाज का एवं स्वयं का भला कर सकें, पर आज शिक्षा का व्यवसायीकरण हो रहा है। लोग डाक्टर व इंजीनियर भी इसीलिए बनना चाहते हैं कि उसमें अधिक से अधिक धन कमाने की संभावना होती है। ऐसी शिक्षा से क्या लाभ ? धन तो अशिक्षित व्यक्ति भी कमा लेता है। चोरी, डकैती, स्मगलिंग, अपहरण आदि के द्वारा कम समय में ही मनचाही राशि लोग एकत्रित कर लेते हैं। जब किसी भी प्रकार से धन कमाना ही मुख्य ध्येय है तो फिर चोर-डकैत और डाक्टर इंजीनियर में क्या अंतर रह जाता है? ध्येय का महत्त्व शिक्षा से कहीं अधिक है। यदि ध्येय उचित है सारे समाज के भले का है, जन कल्याण के लिए है तो वह व्यक्ति वंदनीय है, पूजनीय है।
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