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आचार्य श्रीराम शर्मा >> वर्तमान चुनौतियाँ और युवावर्ग वर्तमान चुनौतियाँ और युवावर्गश्रीराम शर्मा आचार्य
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मेरी समस्त भावी आशा उन युवकों में केंद्रित है, जो चरित्रवान हों, बुद्धिमान हों, लोकसेवा हेतु सर्वस्वत्यागी और आज्ञापालक हों, जो मेरे विचारों को क्रियान्वित करने के लिए और इस प्रकार अपने तथा देश के व्यापक कल्याण के हेतु अपने प्राणों का उत्सर्ग कर सकें।
हमें ईश्वर के अस्तित्त्व और कर्मफल के सिद्धांत को सदैव ध्यान में रखना होगा। यदि हम इससे आँखें फेरने का प्रयास करेंगे तो केवल स्वयं को ही धोखा देते रहेंगे। फिर हम न तो स्वयं को पहचान पाएँगे और न धर्म के वास्तविक स्वरूप को।
यह मानव जीवन हमें कर्म करने के लिए मिला है। इस योनि में रहते हुए ही हम पूर्वजन्म के कर्मों के फल भी भोगते रहते हैं और साथ ही नए कर्म भी करते हैं। शेष सभी योनियां तो केवल भोग योनियाँ ही हैं। वहाँ तो कोई नया कर्म होता ही नहीं, मात्र सामान्य जीवनचर्या ही चलती रहती है। अब यह हमारे ऊपर है कि हम मानव जीवन प्राप्त कर किस प्रकार के कर्म करें। परमात्मा ने हमें एक सुअवसर प्रदान किया है कि सत्कर्म करते हुए हम अपने जीवन को उन्नति के मार्ग पर ले जाएँ। कुकर्मों द्वारा इसका सर्वनाश न करें। भगवान् ने हमें इस संसार में भेजा है, जिससे हम सभी प्राणियों के कल्याण हेतु अपनी प्रतिभा व क्षमता का नियोजन कर सकें। अपने पुरुषार्थ से अपने पाप कर्मों का प्रायश्चित भी करें और सत्कर्मों द्वारा पुण्यफल भी प्राप्त करें।
इस प्रकार हम स्वयं को पहचानें और पूर्ण आस्था व ईश्वर विश्वास के साथ कर्मपथ पर बढ़ें। हमें पग-पग पर ईश्वरीय सहायता भी मिलती रहेगी। ईश्वर केवल उन्हीं की सहायता करता है जो अपनी सहायता स्वयं करना चाहते हैं। हमें सतत सतर्क रहकर इसी विश्वास के साथ अपनी जीवनचर्या का निर्धारण करना होगा, तभी हम सफलतापूर्वक वर्तमान चुनौतियों से पार पा सकेंगे।
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