Unnati ke Teen Gun - Char Charan - Hindi book by - Sriram Sharma Acharya - उन्नति के तीन गुण-चार चरण - श्रीराम शर्मा आचार्य
लोगों की राय

आचार्य श्रीराम शर्मा >> उन्नति के तीन गुण-चार चरण

उन्नति के तीन गुण-चार चरण

श्रीराम शर्मा आचार्य

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :36
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9847
आईएसबीएन :9781613012703

Like this Hindi book 0

समस्त कठिनाइयों का एक ही उद्गम है – मानवीय दुर्बुद्धि। जिस उपाय से दुर्बुद्धि को हटाकर सदबुद्धि स्थापित की जा सके, वही मानव कल्याण का, विश्वशांति का मार्ग हो सकता है।

जिम्मेदारी

जिम्मेदारियाँ भगवान ने मनुष्य को अनेक रूपों में सौंपी हैं। समाज ने भी उसे मर्यादाओं और वर्जनाओ के अंकुश को मानने के लिए बाधित किया है। इन सब की जो अवज्ञा करता है, उसे उद्दंड उच्छृंखल माना जाता है।

हर व्यक्ति शरीर रक्षा, परिवार व्यवस्था, समाज निष्ठा, अनुशासन का परिपालन जैसे कर्त्तव्यों से बंधा हुआ है। जिम्मेदारियों को निबाहने पर ही मनुष्य का शौर्य निखरता है, विश्वास बनता है और विश्वसनीयता के आधार पर वह व्याख्या बनने लगती है, जिसके अनुसार उन्हें अधिक जिम्मेदारियाँ सौंपी जाएँ, प्रगति के उच्च शिखर पर जा पहुँचने का सुयोग खिंचता चला आए। लोग उन्हें आग्रहपूर्वक बुलाएँ और सिर-माथे पर चढ़ाएँ। जिम्मेदार लोगों का ही व्यक्तित्व निखरता है और बड़े पराक्रम वे ही कर पाते हैं।

देशद्रोही कृष्णराव अलाउद्दीन के लिए जासूसी कर रहा है, जब इस बात का पता उसकी पत्नी वीरमती को चला, तो उसने अपने पति की हत्या कर दी। मरते हुए पति ने कहा, ''यह क्या किया वीरमती तुमने? भारतीय स्त्रियाँ ऐसा तो कभी नहीं करतीं।''

''हाँ, तुम बिलकुल ठीक कहते हो, पर भारतीय पुरुष भी तो कभी देश द्रोह नहीं करते। इस समय राष्ट्र की रक्षा ही मेरा धर्म है। रही पतिव्रत की बात सो यह अब लो। यह कहकर उसने खुद को भी कटार भोंक ली और पति के साथ सती हो गई।

...पीछे | आगे....

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book