नई पुस्तकें >> प्रेमी का उपहार प्रेमी का उपहाररबीन्द्रनाथ टैगोर
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रवीन्द्रनाथ ठाकुर के गद्य-गीतों के संग्रह ‘लवर्स गिफ्ट’ का सरस हिन्दी भावानुवाद
न जाने कब और कैसे हृदय में प्रेम जाग्रत हो गया
मुझे नहीं मालूम, न जाने किसने चुपके से एक प्रेम पुष्प मेरे हृदय में रख दिया है।
हाँ, किसी ने मेरे हृदय को चुरा लिया है और दूर कहीं आकाश में उसे विक्षिप्त कर दिया है।
मुझे इस बात का आभास नहीं कि कदाचित् मैंने उसे पा लिया है अथवा मैं अब भी उसे सर्वत्र खोज रहा हूँ। सचमुच मुझे इतना भी ज्ञात नहीं कि उसे पा लेना एक आनन्द जनित वेदना है अथवा एक विषाद जनित टीस है।
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