नई पुस्तकें >> प्रेमी का उपहार प्रेमी का उपहाररबीन्द्रनाथ टैगोर
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रवीन्द्रनाथ ठाकुर के गद्य-गीतों के संग्रह ‘लवर्स गिफ्ट’ का सरस हिन्दी भावानुवाद
तुम मुझे दुःख देने आये पर मैं तुम्हें अपना सुख समझता हूँ
क्या मेरे समीप तुम्हारा आना इसलिये हुआ कि तुम दुःखद् विषाद हो?
चाहे तुम मुझे शोकाकुल करने ही आये पर मैं अवश्य ही तुम्हें अपने समीप रखूँगा।
यद्यपि अंधकार के तामस आवरण से तुम्हारा मुख अवगुंठित है, तो भी तुम्हारे मुख को देखे बिना न मानूँगा।
मेरी इच्छा है कि तुम्हारे कर-प्रहार से मृत्यु को पाकर मेरा जीवन अपनी मृत्यु से अग्नि की ज्वाला में कम्पन उत्पन्न कर दे।
मेरे नेत्रों से जो आँसू बह रहे हैं उन्हें तुम्हारे चरणों के चारों ओर बहने दो और तुम्हारी आराधना करने दो।
मेरी अन्तिम इच्छा यही है कि मेरे हृदय की टीस सदैव मुझसे यही कहती रहे कि तुम अब भी मेरे हो।
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