नई पुस्तकें >> प्रेमी का उपहार प्रेमी का उपहाररबीन्द्रनाथ टैगोर
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रवीन्द्रनाथ ठाकुर के गद्य-गीतों के संग्रह ‘लवर्स गिफ्ट’ का सरस हिन्दी भावानुवाद
कोई मेरे और तेरे सम्बन्ध को तोड़ता है–कोई उसी को जोड़ता है
अत्यधिक वर्षा के कारण दिवस मटियाला हो गया है।
छितराये हुए बादलों के अवगुण्ठन से बिज्जू क्रुद्ध होकर देख रही है।
वन पिंजड़े में बँधे उस शेर के समान है जो निराशा में अपने बालों को फड़फड़ा रहा है।
अतः ऐसे दिन जब पवन भी अपने पैरों को फड़फड़ा रहा होगा तब तेरी उपस्थिति में ही मैं भी अपनी शान्ति को पालूँगा क्योंकि दुःखित आकाश ने अपने बादलों से मेरे एकाकीपन को आच्छादित कर दिया है।... उसने ऐसा इसलिए किया है कि मेरे हृदय से तेरे सम्बन्ध का स्पर्श, अत्यधिक गहन और गंभीर बन जाये।
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