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प्रेमी का उपहार

रबीन्द्रनाथ टैगोर

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2014
पृष्ठ :159
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9839
आईएसबीएन :9781613011799

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रवीन्द्रनाथ ठाकुर के गद्य-गीतों के संग्रह ‘लवर्स गिफ्ट’ का सरस हिन्दी भावानुवाद

युवक वनछायाओं की मानवहीन शान्ति में अपना जीवन-यापन करें

यह तो पुस्तक में लिखा हुआ है कि पचास वर्ष की आयु प्राप्त करने पर मनुष्य को संसार त्यक्त कर देना चाहिए और उस वन-शान्ति की ओर चल देना चाहिए जहाँ सन्यास के दर्शन होते हैं। परन्तु कवि यह घोषित करता है कि वन-सन्यास तो केवल युवक के लिए है क्योंकि वन स्थान ही पुष्पों का स्थान है–उनकी जन्म-भू है, जहाँ पर चिड़ियाँ और मधुमक्खियाँ अपने किसी प्रिय का पीछा करती हैं और जहाँ इधर-उधर छिपे कोनों की झुरमुटें इस बात की प्रतीक्षा करती हैं कि कब वहाँ दो प्रेमी आकर प्रेम-रस की बातें करें!

आज भी ऐसे वनस्थानों में छिटकी चन्द्र-ज्योत्स्ना उन मालती पुष्पों के एक चुम्बन के समान है जिसमें जीवन का गंभीर संदेश निहित है–परन्तु इस रहस्य को जो समझ पाते हैं वे पचास वर्ष से नीचे की अवस्था वाले हैं।

पर शोक की बात है कि युवक अनुभवहीन है और साथ ही कामनामय है। अतः यह आवश्यक है कि वृद्ध तो घर का निरीक्षण करें, गृहस्थ का आधिपत्य स्वीकार करें और युवक तथा युवतियाँ वन-छायाओं की मानवहीन शान्ति में अपना जीवनयापन कर प्रेम के कठोरतम् अनुशासन को जान लें।

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