नई पुस्तकें >> प्रेमी का उपहार प्रेमी का उपहाररबीन्द्रनाथ टैगोर
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रवीन्द्रनाथ ठाकुर के गद्य-गीतों के संग्रह ‘लवर्स गिफ्ट’ का सरस हिन्दी भावानुवाद
तुमने और कुछ तो स्वीकार नहीं किया, मेरा अन्तिम अभिवादन ही स्वीकार कर लो
मेरे पथ-मित्र! एक पथिक के रूप में तुझे अपना अभिवादन अर्पित करने आया हूँ।
मेरे व्यथित हृदय के स्वामी! अवसाद, वियोग और जीवन गोधूलि की दुःखमय शान्ति के देवता! तुझे मेरे गृह-स्थान के भग्नावशेष का अभिवादन स्वीकार हो।
ओ! नवोदित्! उषा के प्रफुल्लित प्रकाश! ओ! शाश्वत् दिवस के देदीप्यमान सूर्य! मेरी चिरजीवित और अक्षुण्य आशा का अभिवादन स्वीकार करो।
मेरे पथ-प्रदर्शक! मैं तो एक अनन्त का पथिक हूँ, अतः एक पथिक के अन्तिम अभिवादन को स्वीकार करो, देव!
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