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प्रेमी का उपहार

रबीन्द्रनाथ टैगोर

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2014
पृष्ठ :159
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9839
आईएसबीएन :9781613011799

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रवीन्द्रनाथ ठाकुर के गद्य-गीतों के संग्रह ‘लवर्स गिफ्ट’ का सरस हिन्दी भावानुवाद

तुमने और कुछ तो स्वीकार नहीं किया, मेरा अन्तिम अभिवादन ही स्वीकार कर लो

मेरे पथ-मित्र! एक पथिक के रूप में तुझे अपना अभिवादन अर्पित करने आया हूँ।

मेरे व्यथित हृदय के स्वामी! अवसाद, वियोग और जीवन गोधूलि की दुःखमय शान्ति के देवता! तुझे मेरे गृह-स्थान के भग्नावशेष का अभिवादन स्वीकार हो।

ओ! नवोदित्! उषा के प्रफुल्लित प्रकाश! ओ! शाश्वत् दिवस के देदीप्यमान सूर्य! मेरी चिरजीवित और अक्षुण्य आशा का अभिवादन स्वीकार करो।

मेरे पथ-प्रदर्शक! मैं तो एक अनन्त का पथिक हूँ, अतः एक पथिक के अन्तिम अभिवादन को स्वीकार करो, देव!

 

समाप्त

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