नई पुस्तकें >> प्रेमी का उपहार प्रेमी का उपहाररबीन्द्रनाथ टैगोर
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रवीन्द्रनाथ ठाकुर के गद्य-गीतों के संग्रह ‘लवर्स गिफ्ट’ का सरस हिन्दी भावानुवाद
केवल एक क्षण के लिए मेरे नयनों की ओर टकटकी लगाकर देख
मैं तेरे पास क्यों आता हूँ?–इसलिए कि तेरा स्पर्श करके दिवस कार्यों को आरम्भ कर दूँ।
देख सुन! केवल एक क्षण के लिए अपने नयनों को मेरे नयनों पर रख दे।
मेरे मित्र देख, तेरी मित्रता से विश्वासित होकर ही मैं अपने काम को जा रहा हूँ।
सुन! मेरे मस्तिष्क को अपने संगीत से इसलिये भर दे कि कोलाहल की मरुभूमि में वही संगीत शाश्वत् होकर सदैव गुँजारने लगे।
ओ! रे! अपने प्रेम के सूर्य-प्रकाश से मेरे विचारों की उच्चतम शिखाओं का चुम्बन कर मेरे जीवन की उस घाटी में आ जा जहाँ अनाज के खेत बस पकने को तत्पर हैं।
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