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मुल्ला नसीरुद्दीन के चुटकुले

विवेक सिंह

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :46
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9836
आईएसबीएन :9781613012741

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मुल्ला नसीरूद्दीन न केवल हँसोड़ था, बल्कि वह अच्छा हकीम भी था और सामान्य लोगों के सुख-दुःख में सदा भागीदार भी बनता था, इसलिए वह अत्यन्त लोकप्रिय था।

53

नशे में धुत्त कहीं पड़े हुए मुल्ला को उसका एक दोस्त उठाकर अपने घर ले गया और जब मुल्ला को होश आ गया तो वह उससे बोला- नसीरूद्दीन, मैं तुम्हें शराब छोड़ने का एक उपाय बताता हूँ। उस पर अमल करोगे तो तुम्हारी यह गन्दी आदत सदा-सदा के लिए छूट जायेगी।’

‘अगर ऐसा हो सका तो तुम्हारा बहुत आभारी होऊँगा।' मुल्ला ने कहा।

'हर समय अपने मन में यह संकल्प दोहराते रहो कि मैं अब कभी शराब नहीं पियूँगा।'

'बेकार बात है दोस्त, इससे मुझे कोई फायदा नहीं होगा।' मुल्ला ने हँसकर कहा।

'ऐसा क्यों?' दोस्त चौंका।

'तुम तो जानते ही हो कि मैं कितना झूठा हूँ।

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