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मुल्ला नसीरुद्दीन के चुटकुले

विवेक सिंह

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :46
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9836
आईएसबीएन :9781613012741

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मुल्ला नसीरूद्दीन न केवल हँसोड़ था, बल्कि वह अच्छा हकीम भी था और सामान्य लोगों के सुख-दुःख में सदा भागीदार भी बनता था, इसलिए वह अत्यन्त लोकप्रिय था।

48

सुबह-सुबह मुल्ला अपने घोड़े पर सवार होकर कहीं गया था और शाम को जब लौटा तो नंगे पाँव। मुहल्ले वालों ने उससे पूछा-' मुल्लाजी, घोड़े को कहाँ छोड़ आये?'

'अरे भाई!' लम्बी साँस खींचकर मुल्ला बोला-'बात घोड़े तक ही होती तो कोई बात नहीं थी। चोरों ने मेरे रुपये-पैसे, जूते-कपड़े, सब छीन लिए। यहाँ तक कि मुझे पीटा भी।'

'मगर तुम्हारे पास तो तलवार थी।' मुहल्ले वालों ने कहा। 'वह तो अब भी है, उसे मैंने पाजामे के अन्दर कर लिया था। अत: चोरों की नजर उस पर नहीं पड़ी।'

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