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मुल्ला नसीरुद्दीन के चुटकुले

विवेक सिंह

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :46
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9836
आईएसबीएन :9781613012741

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मुल्ला नसीरूद्दीन न केवल हँसोड़ था, बल्कि वह अच्छा हकीम भी था और सामान्य लोगों के सुख-दुःख में सदा भागीदार भी बनता था, इसलिए वह अत्यन्त लोकप्रिय था।

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'हकीम साहब, मैं बड़ा परेशान हूँ। नित्य रात को डरावने सपने में कुछ नर-कंकाल आकाश से उतरते हुए दिखाई देते हैं। वे अपने भयानक पंजों को फैलाकर मेरे पीछे भागते हैं। मैं भागता हुआ दूर निकल जाता हूँ और एक गहरे तालाब में कूद पड़ता हूँ। तालाब में डूबने लगता हूँ। साँस फूलने लगती है... और... ' मुल्ला से यह कहते-कहते ही रोगी हाँफने लगा।

मुल्ला कुछ देर सोचता रहा। फिर बोला-'तुम तैरना क्यों नहीं सीख लेते। तालाब में कूदने पर मजे से तैरते रहोगे।'

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