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मुल्ला नसीरुद्दीन के चुटकुले

विवेक सिंह

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :46
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9836
आईएसबीएन :9781613012741

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मुल्ला नसीरूद्दीन न केवल हँसोड़ था, बल्कि वह अच्छा हकीम भी था और सामान्य लोगों के सुख-दुःख में सदा भागीदार भी बनता था, इसलिए वह अत्यन्त लोकप्रिय था।

20

'यार मुल्ला, कल मैं यह शहर छोड्कर तुमसे दूर चला जाऊँगा। अपनी यादगार के रूप में तुम मुझे अँगूठी दे दो, जब कभी मैं यह अँगूठी देखा करूँगा तो तुम्हारी याद आती रहेगी।' चार-पाँच साल के लिए किसी अन्य शहर के लिए जाते समय मुल्ला के दोस्त ने मुल्ला से कहा।

दोस्त की बात सुनते ही मुल्ला गम्भीर हो गया और कुछ देर बाद बोला, 'नहीं दोस्त! मैं अँगूठी नहीं दे सकता। हम लोग अपने साथ हर वक्त रहने वाली चीजों पर ज्यादा ध्यान नहीं दे पाते। हाँ, जब-जब तुम अपनी अँगुली को देखोगे तब-तब तुम्हें यह बात जरूर याद आ जाया करेगी कि अगर कम्बख्त मुल्ला मुझे अँगूठी दे देता तो इसी अँगुली में पहना करता।' मुल्ला ने मुस्कुराते हुए कहा।

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