लोगों की राय

नई पुस्तकें >> मूछोंवाली

मूछोंवाली

मधुकांत

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :149
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9835
आईएसबीएन :9781613016039

Like this Hindi book 0

‘मूंछोंवाली’ में वर्तमान से तीन दशक पूर्व तथा दो दशक बाद के 50 वर्ष के कालखण्ड में महिलाओं में होने वाले परिवर्तन को प्रतिबिंबित करती हैं ये लघुकथाएं।

67

विवाह


‘महाशय जी सर्वप्रथम लड़के का एच.आई.वी. नेगेटिव प्रमाण-पत्र दे दीजिए’ पण्डित जी ने बलपूर्वक कहा।

‘पण्डित जी विवाह के झमेले में वो तो बनवाना ही भूल गए, बाद में बनवा लेंगें अब शादी का कार्य पूरा होने दें’ महाशय जी ने अनुरोध पूर्वक कहा।

‘आप कैसी बात कर रहे हैं? यह तो आपने सगाई में जन्म-पत्री के साथ ही देना चाहिए था। तब भी आपने यही कहा था दो-चार दिन में भिजवा देंगे।’

‘पण्डित जी इस कागजी कार्यवाही में क्या रखा है? मैं आपको विश्वास दिलाता हूं कि हमारे लड़के को एड्स की बिमारी नहीं है।’

‘नहीं महाशय जी, हमारे जजमान तो, बिल्कुल नहीं मानेंगें। लड़का ट्रक ड्राईवर है कोई कैसे विश्वास करेगा।’ तभी लड़की के पिता जी भी वहां आ गए।

‘पण्डित जी आपको तो विशेष काम से भेजा था और आप यहां बातचीत करने में लगे हैं।’

‘जजमान मैं क्या कंरू... इन्होंने अभी तक एड्स फ्री होने का प्रमाण-पत्र भी नहीं बनवाया है।’

‘क्यों?’ वो तिलमिला गए।

‘शाहजी, शादी की व्यस्तता में कुछ ध्यान ही नहीं रहा।’ वे लगभग गिड़गिड़ाने लगे थे।

‘आपके मन में अवश्य कोई खोट है। ऐसे परिवार में हम अपनी लड़की का विवाह नहीं कर सकते...’चलो पण्डित जी बारात को वापस भेज दो’ गुस्से से पैर पटकते हुए वे तेजी से बाहर निकल गए।

 

0 0

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book