नई पुस्तकें >> मूछोंवाली मूछोंवालीमधुकांत
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‘मूंछोंवाली’ में वर्तमान से तीन दशक पूर्व तथा दो दशक बाद के 50 वर्ष के कालखण्ड में महिलाओं में होने वाले परिवर्तन को प्रतिबिंबित करती हैं ये लघुकथाएं।
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कुंडी
सहमी, सिमटी, सजीली एक लड़की ने, हाथ में चाय की ट्रे पकड़े कमरे में प्रवेश किया। देखने के लिए आए लड़के वालों ने उसके अंग-अंग को गहराई से जांचा। कुछ प्रश्न पूछे, कमरे में चलवाकर, सैंडल उतरवाकर देखा, कद की लम्बाई और पढ़ाई-लिखाई के विषय में पूछा।
‘बेटे हमने तो बात कर ली। इब हम बैठां सां दूसरे कमरे में, थारी कोई बात रह री हो तो, आपस में पूछ लो।’ कहते हुए वृद्ध समूह उठकर बाहर चला गया। कमरे में रह गए तीन। वह उसका छोटा भाई तथा छोटी बहन। बहन ने पूछा-’तनै दूध बिलौना आवै सै?’ उसने गर्दन हिलाकर स्वीकार कर लिया।
छोटा भाई बोला- ’भाभी, एक बात बता, तनै बिजली की कुण्डी लगानी आवै से?’
‘कैसी कुण्डी?’
‘वा जो बिना बिल की बिजली लेण नै लगानी पड़े सै’
उसने प्रथम बार तिरस्कारपूर्ण दृष्टि से तीनों को देखा और बिना कुछ बोले कमरे से बाहर निकल गयी।
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