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मूछोंवाली
मूछोंवाली
प्रकाशक :
भारतीय साहित्य संग्रह |
प्रकाशित वर्ष : 2016 |
पृष्ठ :149
मुखपृष्ठ :
ई-पुस्तक
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पुस्तक क्रमांक : 9835
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आईएसबीएन :9781613016039 |
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‘मूंछोंवाली’ में वर्तमान से तीन दशक पूर्व तथा दो दशक बाद के 50 वर्ष के कालखण्ड में महिलाओं में होने वाले परिवर्तन को प्रतिबिंबित करती हैं ये लघुकथाएं।
53
गूंगी
वह हिलते हुए होठों को देखकर सामने वाले की बात समझ लेती है इशारों के द्वारा अपने मन की बात समझा देती है परन्तु गली मोहल्ले वाले उसे पागल समझते हैं।
रात किसी ने उसके साथ बलात्कार कर दिया। उसी की शिकायत करने वह थाने में आयी थी। सिपाही ने उसे बाहर ही रोक लिया।
‘क्या करने आयी है यहां?’
वह हाथ पर पेन से लिखने का संकेत करती है।
‘क्या शिकायत है तुम्हारी?’
वह इशारे से बलात्कार करने को समझाती है।
‘किसने किया?’
वह पुलिस की वर्दी को छू देती है।
सिपाही के चेहरे पर हवाइयां उड़ जाती हैं।
‘कहां है वह?’ वह अंदर की ओर संकेत करती है।
‘चल भाग यहां से, पगली कहीं की, आ गयी सुबह-सुबह दिमाग खराब करने।’ पुलिस वाले ने धमका कर उसे बाहर खदेड़ दिया।
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