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मूछोंवाली
मूछोंवाली
प्रकाशक :
भारतीय साहित्य संग्रह |
प्रकाशित वर्ष : 2016 |
पृष्ठ :149
मुखपृष्ठ :
ई-पुस्तक
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पुस्तक क्रमांक : 9835
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आईएसबीएन :9781613016039 |
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‘मूंछोंवाली’ में वर्तमान से तीन दशक पूर्व तथा दो दशक बाद के 50 वर्ष के कालखण्ड में महिलाओं में होने वाले परिवर्तन को प्रतिबिंबित करती हैं ये लघुकथाएं।
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प्राइज
प्रथम कक्षा में पढ़ने वाली श्रीदेवी ने घर आकर पापा से शिकायत की। ‘पापा जी, आज स्कूल में गिनो को एक गुडि़या प्राइज में मिली, मुझे भी चाहिए।’ पापा ने तभी उसके लिए बड़ी सी गुडि़या बाजार से मंगवा दी। दो तीन दिन खेलने के बाद गुडि़या टूट गयी।
दूसरी कक्षा में श्रीदेवी ने घर आकर पापा से फिर जिद की। ‘पापा जी राधा को ड्राईंग बुक और कलर प्राइज में मिले हैं, मुझे भी चाहिए।
पापा ने उसके लिए बाजार से कॉपी और कलर मंगवा कर दे दिए। सांय
तक उसने कापी में कलर भरकर फेंक दिया।
तीसरी कक्षा में श्रीदेवी फिर पापा के सामने आकर अकड़ गयी- ‘पापा माला को गेंद का प्राइज मिला है, मुझे भी चाहिए।’ पापा ने झट से अपना नौकर भेजकर उसके लिए दो गेंद मंगवा दीं। कुछ दिनों खेलने के बाद दोनों गेंद खो गयीं।
रमा के जन्मदिन पर उसकी सारी सहेलियां एकत्रित हुईं। सभी अपने-अपने ‘प्राइज’ एक दूसरे को दिखाकर चहक रहे थे। श्रीदेवी के पास तो एक भी प्राइज नहीं था इसलिए वह सबको टुकर-टुकर देख रही थी।
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