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मूछोंवाली

मधुकांत

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :149
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9835
आईएसबीएन :9781613016039

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‘मूंछोंवाली’ में वर्तमान से तीन दशक पूर्व तथा दो दशक बाद के 50 वर्ष के कालखण्ड में महिलाओं में होने वाले परिवर्तन को प्रतिबिंबित करती हैं ये लघुकथाएं।

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आठवां वचन


अन्तर्राष्ट्रीय एड्स दिवस। सरकारी दफ्रतरों, स्कूल-कालेजों के अतिरिक्त एक स्थानीय प्रतिष्ठित संस्था ने विशेष आयोजन किया था। जिसकी चर्चा दूर-दूर तक हो रही थी। इस अवसर पर प्रदेश के सभी एड्स पीडि़त युवक-युवतियों का सामूहिक विवाह होना था। प्रदेश के मुख्यमंत्री, स्वास्थ्य मंत्री, अधिकारी तथा समाज के गणमान्य व्यक्ति सभी 25 वैवाहिक जोड़ों के लिए उपहार लाए थे। स्टेज पर लगे माइक से क्रमवार आकर वर-वधू को आशीर्वाद दिया जा रहा था। इस भव्य आयोजन को देखने के लिए आसपास के क्षेत्र से अनेक लोग आए। क्योंकि एक मास पूर्व जब से इस आयोजन की घोषणा हुई तब से लोग एड्स के विषय में समझने और पूछने लगे थे। बच्चा-बच्चा इस बीमारी को जानने लगा था।

पंडित जी ने सभी वर-वधुओं से सात वचन भरवाए तथा मंच पर एक महाशय जी आकर बोलने लगे-’सभी दूल्हे व दूल्हनें ध्यानपूर्वक सुनें। आप सभी ने सात वचन भरकर सफल जीवन जीने के लिए एक दूसरे के प्रति आस्था प्रकट की है।

‘परन्तु मैं आपसे एक आंठवा वचन भरवाना चाहता हूं।’

‘आंठवां वचन...’ सभी के कान खड़े हो गए।

‘यहां उपस्थित समाज के सम्मुख एक आंठवां वचन दीजिए कि जीवन भर संतान उत्पत्ति नहीं करेंगे तथा एड्स जैसी भयानक बिमारी से बचने के लिए जनता को जागरूक करते रहेंगे।’

सभी दूल्हों ने हाथ तथा दुल्हनों ने गर्दन हिलाकर आंठवें वचन को स्वीकार किया और यकायक सारा मंडप तालियों से गूंज उठा।

 

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